लंदन जाना हमेशा खुशगवार अनुभूति देता है. तमाम आधुनिकताओं से लैस लंदन अपने प्राचीन स्वरूप को भी दिलचस्प अंदाज में पेश करता नजर आता है. यहां आ कर सबकुछ अपनाअपना सा लगता है.

लंदन की यात्रा के लिए हमारा विमान दिल्ली से उड़ कर इस्तांबुल एअरपोर्ट पर उतरा. वहां 4 घंटे का विश्राम था, वहां से हमें तुर्किश एअरलाइंस के ही दूसरे विमान से लंदन जाना था. तुर्किश एअरलाइंस का एअरबस-330 विमान काफी आरामदायक था. इस दौरान हम इस्तांबुल हवाई अड्डे से बाहर तो जा नहीं सकते थे किंतु हवाई अड्डे के एक छोर से दूसरे छोर तक आनेजाने की पूरी स्वतंत्रता थी जिस का हम ने पूरा लाभ उठाया और एअरपोर्ट के अंदर घूमघूम कर तुर्की सभ्यता को सम झने का प्रयास किया.

खैर, इस्तांबुल से उड़ान के 4 घंटे बाद विमान लंदन पहुंचा. लंदन में 3 प्रमुख हवाई अड्डे हैं जहां पर हवाई कंपनियों के विमानों का आवागमन होता है. ये हैं हीथ्रो, स्टेनस्टेड और गेटविक. ये सभी हवाई अड्डे एकदूसरे से काफी दूरी पर हैं. हमारा विमान हीथ्रो पर उतरा था, जो विश्व का तीसरा व्यस्ततम हवाई अड्डा है. यह हवाई अड्डा क्या, एक पूरा शौपिंग मौल है. जिधर देखो इलैक्ट्रौनिक्स सामान, घडि़यां, मदिरा, परफ्यूम, कैमरे, रैडीमेड कपड़े, पुस्तकें और हर प्रकार की सामग्री नजर आती है.

हमारा होटल हीथ्रो हवाई अड्डे से लगभग 24 किलोमीटर उत्तरपूर्व में था. उस समय मई का महीना चल रहा था और लंदन का मौसम अत्यंत सुहावना था. वातावरण में हलकीहलकी ठंडक थी जबकि आकाश में धूप खिली हुई थी जो मन को आनंद से भर दे रही थी. मार्ग की दृश्यावलियां इस आनंद को दोगुना कर रही थीं.

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