इन दिनों एटीएम कार्ड धोखाधड़ी की संख्या बढ़ गई है. कारण है ब्लैक स्ट्रिप (मैग्नेटिक पट्टी) वाले पुराने एटीएम कार्ड की क्लोनिंग आसानी से होना. जानकारों की मानें तो हर 100 में से एक व्यक्ति के कार्ड की नकल बनाई जा रही है. बैंकों ने भी यह मान लिया है कि सिर्फ ब्लैक स्ट्रिप वाले एटीएम कार्ड सुरक्षित नहीं हैं. इसलिए बैंक प्रबंधन उपभोक्ताओं को अब चिप वाले कार्ड जारी कर रहे हैं.

पुराने एटीएम कार्ड की मैग्नेटिक स्ट्रिप में खातेदार की सारी जानकारी होती है. कार्ड स्वैप करने पर मशीन सारी जानकारी जुटा लेती है. अपराधी एटीएम और स्वैप मशीन के आसपास अतिरिक्त डिजिटल डिवाइस लगाते हैं जिसे फिक्स करने की जरूरत नहीं होती है.

स्वैप होने के बाद मशीन में बटन के पास माइक्रो कैमरे लगाते हैं, जिससे पिन पता चल जाता है. ट्रांजेक्शन पूरा होते ही अपराधी डिजिटल डिवाइस को कम्प्यूटर सिस्टम से जोड़ते हैं और एटीएम कार्ड का सीक्रेट नंबर हासिल कर क्लोन कार्ड पर चढ़ा देते हैं. वहीं कैमरे से पिन ले लेते हैं.

कार्ड को ऐसे रखें सुरक्षित

मैग्नेटिक या ब्लैक स्ट्रिप वाले एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करते समय मशीन में कार्ड स्लौट ध्यान से देखें. उसे थोड़ा सा हिलाएं, जिससे अगर वहां कोई अतिरिक्त डिवाइस लगा होगा तो तुरंत गिर जाएगा.

पिन डालने के दौरान बटन वाली जगह को दूसरे हाथ से ढंक लें, ताकि वहां लगे माइक्रो कैमरे पिन देख न सकें.

इसलिए सुरक्षित हैं चिप वाले कार्ड

चिप वाले कार्ड पुराने कार्ड से सुरक्षित माने जाते हैं, क्योंकि जरूरी जानकारी चिप में होती है. इसे रीड करने के लिए विशेष सौफ्टवेयर की जरूरत पड़ती है, जो केवल बैंकों के पास हैं जबकि मैग्नेटिक स्ट्रिप वाले कार्ड के रीडर बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...