सूचना तकनीक मंत्रालय ने आत्महत्या के लिए उकसाने वाले गेम ब्लू व्हेल के खिलाफ फेसबुक, ट्विटर और गूगल जैसे सर्च इंजन को जागरुकता अभियान चलाने की सलाह दी है. यह अभियान कैसे चलाया जाएगा, यह उन कंपनियों पर निर्भर करता है. लेकिन कोशिश यही है कि इन साइट्स पर लोगों को ब्लू व्हेल के दुष्परिणामों के बारे में आगाह किया जाए. हालांकि एक आशंका यह भी जताई जा रही है कि इस अभियान की वजह से उनमें इस खेल के चैलेंज के बारे में जानने की इच्छा जगे और शायद वे विभिन्न माध्यमों पर उसे ढ़ुंढ़ने की कोशिश भी करेंगे.

फिलहाल, ऐसी आशंका को खारिज करते हुए अधिकारियों ने कहा कि सरकार पहले ही गूगल इंडिया, याहू इंडिया, फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप्प व इंस्टाग्राम को अपने प्लेटफार्म से इस गेम की लिंक को ब्लाक करने का निर्देश दे चुकी हैं. यही नहीं यहां वह इस बात पर भी जोर दे रही हैं कि मिलते जुलते नाम वाले वेबसाइट पर नजर रखी जाए.

देश में इस खेल के कई मामले सामने आए है. जुलाई में तिरुवनंतपुरम और मुंबई में दो बालको ने ऊंची इमारत से कूद कर आत्महत्या कर ली वहीं अगस्त में पश्चिम बंगाल में दसवीं कक्षा के छात्र ने प्लास्टिक बैग में मुंह फंसा कर और केरल में 22 साल के युवक ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी. इस महीने की शुरुआत में मध्य प्रदेश के इंदौर में तेज रफ्तार से आ रही ट्रेन के सामने कूद कर एक छात्र ने आत्महत्या की.

इस बीच, जांच अधिकारियो को आत्महत्या के कम से कम दो मामले में मोबाइल डाटा पूरी तरह से साफ मिला. आशंका है कि आत्महत्या के पहले एडमिन ने सब कुछ मिटा देने को निर्देश दिया हो. अधिकारियों की माने तो ऐसे में आत्महत्या की वजह ब्लू व्हेल चैलेंज साबित करने में खासी दिक्कत होगी. वैसे कुछ मामलो में मृतकों की परिजनों ने खुद ही जांच अधिकरियों को ब्लू व्हेल चैलेंज के बारे में बताया.

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