जिंदगी हो या टेक्नौलजी हर जगह गलतफहमियों का बोलबाला है. आज के इस दौर में हमारा आमना-सामना छोटी बड़ी कई ऐसी बातों से होता है, जो सच नहीं होतीं लेकिन बड़े ही भरोसे के साथ कही गई होती हैं और जिनपर हम बिना सोचे समझे बड़ी ही आसानी से विश्वास कर लेते हैं. टेक्नौलजी भी इससे अछूती नहीं है. हमारे दोस्त, परिजन, अजनबी कई बार हमें ऐसा कुछ बता देते हैं, जिसकी पड़ताल किए बिना ही हम उसे सच मानने लगते हैं. ऐसे में कई बार हमें नुकसान तो उठाना पड़ता ही है लेकिन इसके साथ ही हम एक गलत जानकारी को बेधड़क आगे की ओर बढ़ा रहे होते हैं.
उदाहरण के लिए अगर अच्छे कैमरे का चुनाव करना हो तो हम मेगापिक्सल में उलझ कर रह जाते हैं. प्राइवेट ब्राउजिंग की बात हो तो इनकौग्निटो पर ‘आंख मूंद कर’ भरोसा करने लगते हैं. इस तरह हम कैमरा, प्रोसेसर और वायरस जैसे विषयों पर कही-सुनी बातों पर यकीन करने लग जाते हैं. तो…क्यों ना आज ऐसी ही 5 गलतफहमियों पर बात कर उन्हें दूर करें जो टेक्नौलजी से जुड़ीं हैं
‘ज्यादा खंभे मतलब ज्यादा सिग्नल’
आपके फोन की स्क्रीन पर ऊपरी हिस्से में दायीं या बायीं तरफ सिग्नल के डंडे होते हैं और ऐसा मान लिया गया है कि ये जितने ज्यादा होंगे, सिग्नल कनेक्टिविटी उतनी ही मजबूत होगी. दरअसल, ये डंडे आपके फोन की नजदीकी टावर से निकटता दिखाते हैं. ऐसे में इन्हें यह बिल्कुल ना समझें कि पूरे डंडे आने पर आपके फोन का सिग्नल काफी अच्छा है.
‘मेगापिक्सल ज्यादा तो कैमरा होगा मस्त’
इस मिथ को समझने के लिए आपको समझना होगा पिक्सल क्या होता है? दरअसल, कोई भी तस्वीर छोटे-छोटे डौट से मिलकर बनती है, जिन्हें पिक्सल कहा जाता है. इनसे मिलकर ही तस्वीर तैयार होती है. ये पिक्सल, हजारों-लाखों छोटे-छोटे डौट से बनते हैं, जो आम तौर पर आपको फोटो में नजर नहीं आते. कैमरे की गुणवत्ता तय होती है कैमरा लेंस, लाइट सेंसर, इमेज प्रोसेसिंग हार्डवेयर और सौफ्टवेयर की जुगलबंदी से. उदाहरण के लिए आईफोन 6, जो 8 मेगापिक्सल कैमरे के साथ आता है और बाजार में मौजूद कई 13 मेगापिक्सल कैमरे वाले फोन को मात दे देता है. फोन में अतिरिक्त मेगापिक्सल सिर्फ आपकी प्रिंट की गई तस्वीर में सहायक हो सकते हैं.
‘चुपके से करना है ब्राउज तो खोलो इनकौग्निटो’
यह अफवाह भी है कि इनकौग्निटो विंडो सबसे सुरक्षित विकल्प है. हर ब्राउजर में एक प्राइवेट विंडो का विकल्प रहता है. दरअसल, सच यह है कि आप इस विंडो में जितनी भी साइट को विजिट कर रहे हैं, आपका ब्यौरा आपके इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर और साइट से छिपा नहीं सकते. इस बात को बिल्कुल अपने दिमाग से निकाल दें कि आप इनकौग्निटो पर कुछ भी विजिट करेंगे तो वह सिर्फ आपके और आपके कम्प्यूटर के बीच रहेगा. गूगल क्रोम पर आप इनकौग्निटो को सीधे CTRL + SHIFT + N से खोल सकते हैं. वहीं, इंटरनेट एक्सप्लोरर, सफारी पर इसके लिए आपको CTRL + SHIFT + P दबाना होगा. मैक के लिए यह शॉर्टकट CTRL + OPTION + P होगा.
‘ऐप्पल के सिस्टम में वायरस नहीं आता’
आपने भी कभी ना कभी सुना होगा कि ऐप्पल के सिस्टम में वायरस कभी आ ही नहीं सकता. दरअसल, दुनिया में शायद ही ऐसा कोई सिस्टम बना है, जिसमें वायरस का प्रवेश ना हो सकता हो. इतना जरूर है कि ऐप्पल के मैक कंप्यूटर का बाकी विंडोज पीसी के मुकाबले ट्रैक रिकौर्ड अच्छा है. इसका एक कारण यह भी है कि मैक से ज्यादा संख्या विंडोज पीसी की रही है.
‘प्रोसेसर हो ज्यादा कोर वाला’
मल्टी कोर प्रोसेसर आपके फोन के कामों को एक-दूसरे में बांट देते हैं, जिससे टास्क जल्दी संभव हो. डुअल कोर, औक्टा कोर, क्वाड कोर किसी भी सीपीयू में प्रोसेसर की संख्या बयां करते हैं. डुअल मतलब 2, औक्टा का अर्थ 8 और क्वाड का आशय 4 होता है. क्वाड कोर प्रोसेसर सिंगल और डुअल कोर प्रोसेसर से उसी दशा में तेज हो सकता है, जब उसे दिए गए काम उसकी क्षमताओं से मेल खाते हों. कुछ ऐप खास तौर से सिंगल या डुअल कोर प्रोसेसर पर चलने के लिए बने होते हैं. ये अतिरिक्त पावर वहन नहीं कर पाते. साथ ही अतिरिक्त कोर से यूजर अनुभव में कोई सुधार नहीं आता. उदाहरण के लिए औक्टा कोर प्रोसेसर पर चल रहे एचडी वीडियो की गुणवत्ता फोन के इंटीग्रेटेड ग्राफिक्स की वजह से भी बिगड़ सकती है. इसलिए क्लौक स्पीड और प्रोसेसर की संख्या ‘रामबाण’ इलाज है, ऐसा कहना गलत होगा.