फेसबुक के खिलाफ आज पूरी दुनिया में एक मुहीम चलाई जा रही है, #deletefacebook के नाम से. इसका विरोध दुनिया भर के लोग कर रहे हैं. एक खबर के अनुसार कैंब्रिज एनालिटिका जो कि एक ब्रिटिश प्राइवेट फर्म है जिसने फेसबुक के जरिये अमेरिका के चुनावों में ट्रंप की सहायता की.
हालांकि इस फर्म में कई लोगों की हिस्सेदारी है लेकिन जो इस कंपनी के मुखिया हैं उनका नाम है रौबर्ट मर्सर. रौबर्ट मर्सर रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक हैं और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस पार्टी के नेता हैं. यहां मुख्य रूप से आरोप यह लगाया जा रहा है कि इस प्राइवेट फर्म ने फेसबुक के साथ मिलकर 5 करोड़ लोगों का डाटा चुराया तथा फेसबुक पर प्रोग्राम तैयार कर उनका ब्रेनवाश किया गया.
बात यहीं खत्म नहीं होती फेसबुक डाटा का गलत इस्तेमाल ब्रिक्सइट विवाद के समय भी किया गया था. जब ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग हो जाने की बात चल रही थी, उस वक्त फेसबुक डाटा लोगों के ब्रेनवाश करने के काम आया था.
कैसे हुआ खुलासा
फेसबुक द्वारा हो रहे लोगों के डाटा चोरी को लेकर सबसे पहले खुलासा क्रिस्टोफर विली ने किया जो कि खुद कैंब्रिज एनालिटिका फर्म में काम करते थे. इन्होंने ही सबसे पहले यह खुलासा किया कि आखिर कैसे इस निजी फर्म ने फेसबुक द्वारा 5 करोड़ अमरीकी लोगों के डाटा को लेकर उसका गलत इस्तेमाल चुनावी कैंपेन तथा ट्रंप के प्रचार प्रसार के लिये किया.
डाटा लीक की शुरुआत
साल 2014 में कैंब्रिज एनालिटिका ने फेसबुक से लोगों के डाटा हैक करने के लिये अलेक्जेंडर कोगान नाम के व्यक्ति से संपर्क किया जो कि कैंब्रिज विश्वविद्दालय के एक प्रोफेसर हैं. कोगान को यह कहा गया था कि वो एक ऐसा ऐप तैयार करें जो फेसबुक से लोगों का डाटा ले सके, जिसके लिये कोगान को 8 लाख डौलर की मोटी रकम दी गई थी. हालांकि कोगान खुद ग्लोबल रिसर्च एंड साइंस नाम के कंपनी के मालिक हैं.
निर्देशानुसार कोगान ने फेसबुक के लिये एक ऐप तैयार किया जो लोगों का फेसबुक डाटा ले सके. इस ऐप का नाम इन्होंने thisisyourdigitallife रखा. देखते ही देखते इस ऐप को लगभग 2 लाख 70 हजार लोगों ने डाउनलोड भी किया, अब यहां से शुरुआत होती है फेसबुक डाटा चोरी की.
इस ऐप का इस्तेमाल करना जैसे ही लोगों ने शुरू किया हमेशा की तरह लोगों ने इस ऐप को डाटा ऐक्सेस की अनुमति दे दी, फिर क्या था इस ऐप ने फेसबुक पर मौजूद लोगों के बहुत ही ज्यादा डाटा निकाल लिया और बात यहीं खत्म नहीं होती, यह डाटा लीक इतना भयानक था कि जो लोग एक दूसरे से फेसबुक पर जुड़े हैं, इस ऐप ने उन सबके डाटा को एक्सेस करना शुरू किया.
ग्लोबल रिसर्च एंड साइंस की भूमिका
कोगान की कंपनी ने लोगों को धोखे में रखकर अनेकों प्रकार से जैसे पैसे देकर, फीडबैक के नाम पर इत्यादि तरीकों से लोगों को धोखे में रखकर लोगों की निजी जानकारी को हासिल कर लिया और बाद में इस जानकारी को इस कंपनी ने कैंब्रिज एनालिटिका को बेच दिया.
कैंब्रिज एनालिटिका और अमेरीकी चुनाव
लोगों को धोखे में रखकर हासिल किये गए डाटा को कैंब्रिज एनालिटिका ने साल 2016 में अमेरिकी चुनावों के वक्त इसका गलत इस्तेमाल किया. इसमें हर प्रकार को लोगों की अलग अलग प्रोफाइल तैयार की गई, जिसमें इस बात का ध्यान रखा गया की लोगों की मानसिकता क्या है, वो किस आधार पर चुनावों में वोट करते हैं.
इसके तहत इस फर्म ने फेसबुक पर लोगों का ब्रेनवाश करने का काम किया, फर्म द्वारा अनेकों प्रकार के प्रचार दिखाए गए, जोकि ट्रंप के हित में थे. एक ही झूठ को इतनी बार सच बताकर बोला गया कि झूठ भी सच सा लगने लगा.
फेसबुक की सफाई
पहली सफाई – अपनी चोरी पकड़े जाने के बाद फेसबुक ने अपने सफाई में कहा है कि हमने साल 2015 में ही इस ऐप को फेसबुक से हटा दिया, क्योंकि यह ऐप जरूरत से ज्यादा लोगों का डाटा ले रहा था. यह ऐप फेसबुक द्वारा बनाए गए नियमों के विरुद्ध था.
दूसरी सफाई – इस मामले में फेसबुक द्वारा यह भी कहा गया है कि फेसबुक ने किसी का पासवर्ड हैक नहीं किया तथा लोगों की संवेदनशील निजी जानकारी को भी शेयर नहीं किया.
वहीं फेसबुक के वकील का काहना है कि वौल स्ट्रीट जनरल और द औब्जर्वर नामक अखबार द्वारा फेसबुक के खिलाफ यह षडयंत्र रचा गया है. ये फेसबुक पर झूठे और बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं.
भारत के लिये चेतावनी
आज के जमाने में लोगों का मानना है कि आपका डाटा ही आपकी सबसे बड़ी करेंसी है, इसलिये इसका सुरक्षित रहना बेहद जरूरी है.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार यह कहा गया है कि साल 2019 के चुनावों में हो सकता है कि तमाम पार्टियां अपने राजनीतिक हित को साधने के लिये फेसबुक की मदद ले सकती हैं.
किस किस के पास आपका फेसबुक डाटा, ऐसे लगाएं पता
- सबसे पहले आपको अपने फेसबुक अकाउंट में लौगिन करना होगा.
- इसके बाद नीली पट्टी पर राइट साइड में आ रहे तीर के निशान पर क्लिक करना होगा.
- इस पर क्लिक करने के बाद कई औप्शन खुल जाएंगे. यहां नीचे की तरफ सेटिंग्स का औप्शन आएगा.
- अब इस पर क्लिक करें. इसपर क्लिक करने के बाद नया पेज खुल जाएगा, इस पेज पर सबसे नीचे बहुत छोटा-छोटा लिखा होगा- Download a copy of your facebook data.
- इसके बाद फेसबुक की तरफ से आपके पास आपकी ईमेल पर एक लिंक जाएगा. इस लिंक के माध्यम से एक जिप फाइल डाउनलोड की जा सकती है. इसमें आपके बारे में सभी जानकारी होगी जबसे आपने फेसबुक इस्तेमाल करना शुरू किया था तब से लेकर अब तक की. इसमें आपके प्रोफाइल में आने वाले सभी ऐड्स की जानकारी दी गई होगी. शायद आपका यह डेटा फेसबुक द्वारा ऐड कंपनियों को दिया गया होगा. नाम ‘Advertisers with your contact info’ के साथ छिपा होता है.
HTML फाइल ‘विज्ञापन विषय’ से शुरू होती है – जो मूलतः आपके फेसबुक पेज पर विज्ञापनों देने के लिए उपयोग किए जाने वाले कीवर्ड हैं, या फेसबुक के शब्दों में, “आपकी टाइमलाइन पर आपके द्वारा लाइक किए गए, या इंट्रेस्ट वाली चीजों के ऐड आएंगे. इसके बाद अगली फाइल में ऐड हिस्ट्री मिलेगी. इसमें वह सभी ऐड होंगे जिन पर आपने फेसबुक चलाने के दौरान क्लिक किया होगा.