स्मार्टफोन पर सिर्फ एक पासवर्ड लगाकर आप समझते हैं कि आपका फोन सुरक्षित हो गया है, जाबकि वाकई में ऐसा नहीं है. दिनोंदिन बदलती तकनीक के चलते अब कठिन से कठिन पासवर्ड भी आसानी से हैक हो जाते हैं. इसलिए अब आपके पास पासवर्ड के अलावा कई और ‘सुरक्षा कवच’ भी हैं. स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों ने पारंपरिक पासवर्ड को बायोमेट्रिक पासवर्ड में तब्दील कर दिया है, जैसे- फिंगरप्रिंट स्कैनर, फेशियल रिकौग्निशन, आईरिस स्कैनर, वौयस रिकौग्निशन आदि. इसके अलावा फोन पर नौन बायोमेट्रिक में पिन और पासवर्ड आते हैं. यदि आपने फोन में इन सिक्योरिटी फीचर्स को इनेबल कर रखा है, तो कोई भी आपकी इजाजत के बिना आपके फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकता.
वौयस रिकौग्निशन
‘वौयस रिकौग्निशन’ को स्पीच रिकौग्निशन भी कहा जाता है. यह फीचर व्यक्ति द्वारा बोले गए शब्दों को इनपुट की तरह लेता है और उन शब्दों को डिजिटल फौर्म में बदल कर उसके ऊपर काम करता है. इस तकनीक का प्रयोग मोबाइल फोन चलाने, कमांड देने और आवाज के माध्यम से सर्च करने के लिए किया जाता है. इसमें कीबोर्ड के बटन दबाने की जरूरत नहीं होती है. वौयस रिकौग्निशन में आवाज को बहुत से जटिल चरणों से गुजरना पड़ता है. कुछ बोलने पर कंपन पैदा होता है, जिसे एनालौग सिग्नल्स कहते हैं. इस एनालौग वेब को मोबाइल और कंप्यूटर डिजिटल में बदलने के लिए ADC Translator का प्रयोग करते हैं.
फेशियल रिकौग्निशन
यह फीचर लोगों को पसंद भी आ रहा है. इसकी मदद से यूजर स्मार्टफोन को देखकर ही अनलौक कर सकता है. बता दें कि फेशियल रिकौग्निशन सिस्टम एक मोबाइल फीचर है, जो किसी शख्स को डिजिटल इमेज के तौर पर वेरिफाई कर सकता है और फेशियल फीचर डाटाबेस में फीड यूजर की 3डी तस्वीर के साथ यूजर के चेहरे का डिजिटली मिलान कराता है. आमतौर पर इसे सिक्योरिटी सिस्टम में इस्तेमाल किया जाता है.
अगर आप सोशल मीडिया का यूज करते हैं, तो आपको पता होगा कि कैसे फेसबुक आपके दोस्तों के चेहरे के आधार पर फोटो टैग करने का विकल्प देता है. वह भी एक तरह का फेशियल रिकौग्निशन ही है.
फिंगरप्रिंट स्कैनर
स्मार्टफोन में फिंगरप्रिंट स्कैनर होने से हमारे मोबाइल की सिक्योरिटी काफी हद तक बढ़ जाती है. जब यूजर अपने इस विकल्प को औन करता है, तो स्मार्टफोन में मौजूद औप्टिकल स्कैनर यूजर के फिंगरप्रिंट्स की डिजिटल इमेज कैप्चर कर लेता है. यह डिजिटल इमेज आगे के वेरिफिकेशन के लिए स्मार्टफोन में फीड हो जाती है. यदि फोन में फिंगरप्रिंट सिक्योरिटी औन है, तो यूजर के अलावा कोई दूसरा फोन को अनलौक नहीं कर सकता है. जब हम फोन को ओपन करने या अन्य किसी काम के लिए अनलौक करते हैं, तो यह हमारे फिंगरप्रिंट्स की इमेज लेकर पहले से स्टोर इमेज से मिलान करता है. यदि इमेज मैच कर जाती है, तो फोन अनलौक हो जाता है. यदि फिंगरप्रिंट मैच नहीं होते हैं, तो फोन पर ‘Try Again’ का संदेश आता है.
आईरिस स्कैन
आईरिस पैटर्न और रेटिना ब्लड वेसल्स, प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग और अनूठे होते हैं. रेटिनल स्कैनिंग एक बायोमेट्रिक तकनीक है, जिसमें रेटिना में मौजूद ब्लड वेसल्स का अनोखा पैटर्न होने की वजह से व्यक्ति को पहचाना जाता है. ज्यादातर यूजर आईरिस पैटर्न और रेटिना ब्लड वेसल्स के पैटर्न में गड़बड़ा जाते हैं. स्मार्टफोन में मौजूद फ्रंट कैमरे की मदद से यूजर अपने रेटिना को स्कैन करता है, जिसके बाद ही फोन अनलौक होता है. वर्तमान में फिंगरप्रिंट और आईरिस स्कैनर, बायोमेट्रिक टेक्नौलोजी तेजी से आगे बढ़ रही है.
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