दौड़-भाग के इस दौर में हमारा आमना-सामना अक्सर ऐसी बातों से भी होता है, जो सच नहीं होतीं लेकिन बड़े भरोसे के साथ कही गई होती हैं. बड़े भरोसे के साथ कही गई बात यानी कि गलतफहमियां. जिंदगी हो या टेक्नालजी की दुनिया, गलतफहमियों का बोलबाला हर जगह है. हमारे दोस्त, परिजन, अजनबी कई बार हमें ऐसा कुछ बता देते हैं, जिसकी पड़ताल किए बिना ही हम उसे सच मानने लगते हैं. ऐसे में कई बार हमें नुकसान तो उठाना पड़ता ही है. साथ ही एक गलत जानकारी को हम बेधड़क आगे भी बढ़ा रहे होते हैं. तो क्यों ना आज हम उन गलतफहमियों पर बात करें जो जुड़ीं हैं टेक्नौलजी से-

ज्यादा खंभे मतलब ज्यादा सिग्नल

आपके फोन के ऊपरी हिस्से में दायीं या बायीं ओर सिग्नल के डंडे होते हैं. ऐसा मान लिया गया है कि ये जितने ज्यादा होंगे, सिग्नल कनेक्टिविटी उतनी ही मजबूत होगी. दरअसल, ये डंडे आपके फोन की नजदीकी टावर से निकटता दिखाते हैं. ऐसे में इन्हें यह बिल्कुल ना समझें कि पूरी डंडे आने पर आपके फोन का सिग्नल बिंदास काम कर रहा है.

मेगापिक्सल ज्यादा तो कैमरा होगा मस्त

इस मिथ को समझने के लिए आपको समझना होगा पिक्सल क्या होता है? दरअसल, कोई भी तस्वीर छोटे-छोटे डाट से मिलकर बनती है, जिन्हें पिक्सल कहा जाता है. इनसे मिलकर ही तस्वीर तैयार होती है. ये पिक्सल, हजारों-लाखों छोटे-छोटे डाट से बनते हैं, जो आम तौर पर आपको फोटो में नजर नहीं आते. कैमरे की गुणवत्ता तय होती है कैमरा लेंस, लाइट सेंसर, इमेज प्रोसेसिंग हार्डवेयर और सौफ्टवेयर की जुगलबंदी से. उदाहरण के लिए आईफोन 6, जो 8 मेगापिक्सल कैमरे के साथ आता है और बाजार में मौजूद कई 13 मेगापिक्सल कैमरे वाले फोन को मात दे देता है. फोन में अतिरिक्त मेगापिक्सल सिर्फ आपकी प्रिंट की गई तस्वीर में सहायक हो सकते हैं. यहां एक बात और साफ कर दें कि कोई भी फोन कैमरा, कभी भी डीएसएलआर की कमी पूरी नहीं कर सकता.

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