आजकल सोशल मीडिया पर फेक पोस्ट्स, ट्वीट्स और रिव्यूज की भरमार देखने को मिलती है. यूजर के लिए यह समझना खासा मुश्किल काम होता है कि कौन सी पोस्ट असली है और कौन फर्जी. लेकिन, अब यह मुश्किल आसान हो जाएगी.

अमेरिका की टेक्सस युनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा है कि उन्होंने ऐसा तरीका खोज लिया है, जिससे सोशल मीडिया पर फर्जी पोस्ट की पहचान आसान हो जाएगी. यूनिवर्सिटी में साइबर सिक्यॉरिटी के असोसिएट प्रफेसर किम-क्वांग रेमंड चू ने एक ऐसे स्टैटिस्टिकल मेथड का जिक्र किया जिसमें लेखन के कई नमूनों की ऐनालिसिस की जाती है. इस प्रक्रिया को 'ऐस्ट्रटर्फिंग' कहते हैं.

उन्होंने पाया कि कुछ लिखते वक्त इंसान के लिए अपनी राइटिंग स्टाइल बदलना या छिपाना बहुत चुनौतीभरा काम होता है. ट्वीट या फेसबुक पर डाली गई पोस्ट में शब्दों के चयन, अर्धविराम, पूर्णविराम और संदर्भ सामग्री के आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि इसके पीछे एक व्यक्ति काम कर रहा है या फिर एक ग्रुप.

शोधकर्ताओं ने विभिन्न न्यूज वेबसाइट्स पर कॉमेंट करने वाले कई अकाउंट्स की स्टडी की और पाया कि कई अलग-अलग अकाउंट्स से ऑनलाइन पोस्ट की जा रही सामग्री के पीछे दरअसल कुछ चुनिंदा लोगों का ही हाथ है.

शोधकर्ताओं के मुताबिक इस तरीके से विभिन्न अकाउंट से किए गए फर्जी ट्वीट्स और पोस्ट्स का आसानी से पता लगाया जा सकता है. रेमंड ने उम्मीद जताई कि इस नए तरीके से सोशल मीडिया पर तोड़-मरोड़कर कर पेश की जाने वाली जानकारी पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी.

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