लोगों की आदतों में यह शुमार है कि वे माउस को राइट क्लिक कर रिफ्रेश करने लगे हैं. ऐसा मानना है कि 10 में से 9 विंडो यूजर्स जमकर रिफ्रेश करते हैं. कहा जाता है कि सभी विंडो यूजर्स के बीच रिफ्रेश कंप्यूटर की शायद सबसे बड़ी पहेली है.

कई बार शायद रिफ्रेश करने की जरूरत पड़ती होगी लेकिन ज़्यादातर ऐसे लोग हैं जो जानते भी नहीं कि रिफ्रेश करने से क्या होता है. कुछ लोग तो इसलिए करते हैं कि पास में बैठे और लोग भी कर रहे होते हैं. कुछ लोगों को लगता है कि इससे रैम रिफ्रेश हो रहा है तो कई लोगों को लगता है कि इससे कंप्यूटर स्मूद और फास्ट चलेगा.

कई लोग तो कम से कम 30 सेकंड तक रिफ्रेश करते रहते हैं. ज्यादातर लोगों ने F5 बटन का रिफ्रेश का शॉटकर्ट अपना लिया है. कई लोग इस बटन देर तक दबाए रहते हैं.

आखिर रिफ्रेश करने से कंप्यूटर पर क्या असर होता है?

रिफ्रेश करने से डेस्कटॉप पर जो आइकन होते हैं उनमें हरकत होती है. इसके अलावा कुछ और नहीं होता है. इससे रैम रिफ्रेश नहीं होता है. रिफ्रेश करने से आपका पीसी भी सरपट नहीं भागता है. डेस्कटॉप रिफ्रेश करने से कंप्यूटर के परफॉर्मेंस पर कोई असर नहीं पड़ता है.

क्यों हैं ऐसे रिफ्रेश टूल

रिफ्रेश टूल डेस्कटॉप के आइकन को री-डिस्प्ले करने के लिए होता है. कई बार आप डेस्कटॉप के आइकन में बदलाव करते हैं तो वे तत्काल दिखते नहीं हैं. ऐसे में जब रिफ्रेश करते हैं तो सारे आइकन डेस्कटॉप पर दिखने लगते हैं.

अगर आपके डेस्कटॉप पर आइकन हैं तो इसे एल्फाबेटिकली सेट कर सकते हैं. सेट करने के बाद अगर कोई नया आइकन जोड़ते हैं तो वह सबसे नीचे आ जाता है. ऐसे में जब आप रिफ्रेश करते हैं तो नया आइकन भी उस क्रम में सेट हो जाता है. इसके अलावा रिफ्रेश का कोई काम नहीं होता है.

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