स्मार्टफोन के जमाने में बैटरी बैकअप का कोई भरोसा नहीं. मूवी, म्यूजिक से लेकर सोशल नेटवर्किंग तक घंटों में ही बैटरी का दम निकाल देती हैं ऐसे में संकटमोचक बन कर आता है पावरबैंक.
मार्केट में 3 तरह के पावरबैंक आते हैं:
1. डिस्प्ले के साथ: इन पावरबैंकों में एक डिजिटल डिस्प्ले होता है जिसमें बैटरी का स्टेटस दिखता रहता है. इसके जरिए हम जान सकते हैं कि बैटरी में अभी कितना दम बाकी है. हालांकि डिस्प्ले बैटरी का स्टेटस पता करने का सबसे अच्छा तरीका है लेकिन डिस्प्ले खुद भी बैटरी की खपत करता है इसलिए बैकअप में कुछ फर्क आ जाता है.
2. बिना डिस्प्ले के एलईडी वाले: इस तरह के पावरबैंक में डिस्प्ले की जगह 3-4 एलईडी लाइट्स होती हैं. जितनी ज्यादा एलईडी जलती हैं बैटरी में उतना ज्यादा पावर होता है. इस तरह के पावरबैंक मार्केट में ज्यादा उपलब्ध हैं और कीमत के लिहाज से भी किफायती हैं.
3. बिना एलईडी और बिना डिस्प्ले वाले: इन पावरबैंकों में न तो डिस्प्ले होता है और न ही किसी तरह की एलईडी जिससे पता चल सके कि पावरबैंक में कितनी ताकत बची है. इस तरह के पावरबैंक सस्ते तो होते हैं लेकिन इस्तेमाल के लिहाज से अच्छे नहीं होते.
जैसी जरूरत, वैसे पावरबैंक
mAh का मैथ्स
मोबाइल बैटरी और पावरबैंक दोनों की क्षमता को एमएएच के जरिए आंका जाता है. जहां मोबाइल की बैटरियां 1000 एमएएच से लेकर 5000 एमएएच तक आ रही हैं वहीं 1500 एमएएच से लेकर 30 हजार एमएएच तक के पावरबैंक भी देखने को मिलते हैं. ऐसे में अपनी जरूरत और अपने फोन की बैटरी के हिसाब से पावरबैंक चुनें.