हर गर्भवती माँ जानना चाहती है की उसके गर्भ में पल रहा बच्चा दुनिया में कब आएगा. ऐसे में वह  अल्ट्रासाउंड तकनीक का सहारा लेती है, लेकिन यह तकनीक भी सही समय बताने में असफल रहती है .ऐसे में एमआरआई द्वारा बच्चे के आने का सही समय पता लगाया जा सकता है, क्योंकि समय से पहले डिलिवरी के बारे में जानकारी के लिए गर्भाशय क्षेत्र का एमआरआई अल्ट्रासाउंड की तुलना में ज़्यादा बेहतर परिणाम देता है .

स्पींजा विश्वविद्यालय द्वारा हाल में ही हुए एक शोध के अनुसार गर्भाशय ग्रीवा (यूटरिन सर्विक्स) का टाइम से पहले फैल जाने के कारण समय से पहले डिलीवरी होने का खतरा हो सकता है. गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान अल्ट्रासाउंड में अगर गर्भाशय ग्रीवा का फैलाव 15 मिलीमीटर या उससे कम दिखता है तो उसे समयपूर्व प्रसव के उच्च खतरे की श्रेणी में रखा जाता है.समयपूर्व प्रसव का पहले अनुमान लगाने में अल्ट्रासाउंड की सीमाएं हैं, क्योंकि यह गर्भाशय के टीशूज़ में प्रसव से ठीक पहले के समय में बदलाव की महत्वपूर्ण जानकारी नहीं दे पाता .ऐसे में गर्भावस्था में समयपूर्व प्रसव को समझने के लिए गर्भाशय में  हो रहे बदलाव की सटीक जानकारी एमआरआई से मिल सकती है.

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