शब्दों और भाषा की दुनिया में ब्रिटेन की औक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित औक्सफोर्ड डिक्शनरी को काफी मान्यता और प्रतिष्ठा हासिल है. दुनिया में सब से ज्यादा प्रचलित और इस्तेमाल होने वाले कुछ नए शब्द इस डिक्शनरी में हर साल जोड़े जाते हैं, फिर चाहे वे विश्व की किसी भी भाषा के क्यों न हों. डिक्शनरी में जोड़े जाने वाले शब्द की चर्चा भी बहुत होती है, पर वर्ष 2015 में इस में शामिल किए गए एक चित्र ने तो तहलका ही मचा दिया.

दरअसल, 2015 में औक्सफोर्ड डिक्शनरी ने शब्द के स्थान पर एक चित्र (चित्र समूह) को जगह दी और उसे ‘वर्ड औफ द ईयर’ भी घोषित किया. यह चित्र ईमोजी का है. ईमोजी वास्तव में जापान में प्रचलित हंसते हुए स्माइली हैं और इन में भी खासतौर से औक्सफोर्ड डिक्शनरी ने ऐसे ईमोजी का उल्लेख किया है, जिस में हंसते हुए स्माइली की आंखों से आंसू निकल रहे हैं. इस ईमोजी को ‘वर्ड औफ द ईयर’ घोषित करते हुए डिक्शनरी के प्रकाशकों ने कहा कि यह ईमोजी वर्ष 2015 में दुनिया के लोगों के मूड को बेहतर ढंग से अभिव्यक्त करता है, इसीलिए इसे डिक्शनरी में शामिल किया गया है. औक्सफोर्ड द्वारा शब्द के रूप में इस का चयन करने के अपने तर्क हैं, पर इसे ले कर काफी आलोचना हुई. कहा गया कि अब डिक्शनरी के प्रकाशक चित्रों को भाषा बनाने पर तुल गए हैं. स्माइली को शब्द मानने के फैसले को कई प्रतिष्ठित ब्रिटिश और अमेरिकी अखबारों ने गलत ठहराया. ब्रिटिश अखबार गार्डियन के एक लेख में कहा गया, ‘ईमोजी कोई शब्द नहीं है. यह वर्ड औफ द ईयर के रूप में डिजर्व नहीं करता.’

इस चयन के विरोधियों का कहना है कि ईमोजी का बढ़ता चलन अंगरेजी के लिए खतरनाक है. अगर ऐसे चित्रों को डिक्शनरी में शामिल किया जाने लगा, तो इस से व्याकरण और भाषा का तो कोई अर्थ ही नहीं बचेगा. पर औक्सफोर्ड डिक्शनरी ने ऐसी दलीलों को खारिज कर दिया. डिक्शनरी के प्रकाशकों ने कहा कि उन के इस चयन का आधार शब्द के रूप में चित्र का बढ़ता इस्तेमाल है, जिस तरह से आज पूरी दुनिया में ईमोजी का इस्तेमाल शब्दों के रूप में हो रहा है, इसलिए उसे नजरअंदाज करना मुश्किल है. यह बात सही है कि ईमोजी का व्हाट्सऐप आदि में बढ़चढ़ कर इस्तेमाल हो रहा है.

शब्दचित्र की नई कड़ी

कहने को तो ईमोजी एक जापानी शब्दचित्र है. मनुष्य की भावनाओं को व्यक्त करने वाले इमोटिकौन्स की तरह का ही एक चित्र है. जिस तरह स्माइली का ज्यादातर इस्तेमाल मोबाइल फोन और इंटरनैट आदि पर किया जाता है. उसी तरह ईमोजी जापानी फोनों से निकल कर अब पूरी दुनिया में छा गए हैं. ईमोजी का एक शाब्दिक अर्थ भी है. इस में प्रयुक्त ‘ई’ का मतलब है इमेज यानी चित्र और ‘मोजी’ का मतलब है लिपि या करैक्टर. इस प्रकार ईमोजी वास्तव में एक चित्रलिपि है.

जिस दौर में दुनिया में स्माइली का प्रचलन शुरू हो रहा था, लगभग उसी दौर में एक जापानी इंजीनियर शिगेताका कुरीता ने कई लोगों की भावनाओं को उजागर करते हुए करीब 180 अलगअलग ईमोजी बनाए थे. यह वर्ष 1998-99 की बात है जब कुरीता और उन की टीम ने एक टैलीकौम कंपनी एनटीटी डोकोमो की मोबाइल व इंटरनैट सेवाओं के लिए खास तरह के संकेतों के आविष्कार का काम अपने हाथ में लिया था. ईमोजी को ईजाद करते समय उन की टीम ने मौसम की भविष्यवाणी करने वाले संकेतों और शेयर बाजार के भावों को प्रकट करने वाले संकेतों के बारे में विचार किया. जैसे मौसम की भविष्यवाणी करते समय बादलों, बारिश, बर्फबारी या सूर्य का चित्र बनाया जाता है, उसी तरह उन्होंने इंसान के मूड को व्यक्त करने वाले यानी हंसी, खुशी, क्रोध आदि भाव दर्शाने वाले ईमोजी बनाए.

नए किस्म के इमोटिकौन्स

जिस प्रकार ईमोजी दो शब्दों ‘ई’ और ‘मोजी’ से मिल कर बना है, उसी प्रकार इमोटिकौन्स भी इमोशन (भाव) और आइकन (संकेत) से मिल कर बने हैं. इमोटिकौन्स की तरह ईमोजी भी भाव संकेत हैं. हालांकि ईमोजी के मुकाबले इमोटिकौन्स दुनिया में डेढ़ सदी से प्रयोग में आ रहे हैं. बताते हैं कि पहली बार न्यूयार्क टाइम्स ने वर्ष 1862 में अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का भाषण छापते समय स्माइली का प्रयोग किया था. इस के बाद अखबारों व पत्रिकाओं में स्माइली का इस्तेमाल होने लगा. स्माइली तब ज्यादा प्रचलन में आए, जब इन का प्रयोग कंप्यूटर पर होने लगा.

कंप्यूटरों पर स्माइली लाने का श्रेय पिट्सबर्ग (अमेरिका) स्थित कार्नेगी मिलान यूनिवर्सिटी के प्रोफैसर स्कौट ई फालमैन को जाता है. 1982 में प्रोफैसर फालमैन ने इलैक्ट्रौनिक संकेतों के रूप में कुछ स्माइली बनाए थे, जिस के बाद सैकड़ों स्माइली बनाए गए. तरहतरह के चिढ़ाते, मुसकराते, गुदगुदाते, रोते, चेहरों वाले स्माइली का आज पूरी दुनिया स्मार्टफोनों और कंप्यूटरों पर इंटरनैट के जरिए इस्तेमाल कर रही है.

यों बढ़ा जापानी ईमोजी

ईमोजी को 1997 में जापानी शब्दकोषों में पहली बार जगह दी गई थी. पर यह तब ज्यादा मशहूर हुए जब जापान की डोकोमो आईमोड मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ने सब से पहले ईमोजी को टैक्स्ट मैसेज में इस्तेमाल करने की सहूलत दी थी.

इस के बाद इस की चर्चा तब भी हुई थी, जब इसे एप्पल कंपनी के आईफोन में जगह दी गई. विदेशों में तो एसएमएस, चैटिंग या व्हाट्सऐप मैसेज भेजने के दौरान खुशी, दुख, क्रोध आदि भावों को लिख कर संप्रेषित करने के स्थान पर उन भावों से जुड़ा ईमोजी भेजा जाने लगा. पहले ईमोजी किसी एक वाक्य में 1-2 जगह पर इस्तेमाल होता था पर धीरेधीरे अलगअलग ईमोजी जोड़ कर पूरेपूरे वाक्य बनाए जाने लगे. जापान में तो ईमोजी का प्रयोग कई रूपों में हो रहा है. जापानी नूडल्स, डैंगो, ओनिगिरि, जापानी करी या सुशी को अभिव्यक्त करने वाले ईमोजी भी वहां प्रचलित हैं.

ईमोजी उपन्यास और फिल्में

ईमोजी कितनी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, इस की एक मिसाल इस से मिलती है कि एक उपन्यास ‘मोबी डिक’ का तो ईमोजी में ही अनुवाद किया है. असल में एकएक ईमोजी जोड़ कर पूरा वाक्य बनाया जाता है और जो लोग ईमोजी में अपनी बात कहनेसुनने के आदी हैं, वे बड़ी आसानी से ईमोजी जोड़ कर बनाए गए वाक्य का अर्थ समझ जाते हैं. सिर्फ उपन्यास ही नहीं, अब तो इस पर पूरी फिल्म बनाने की बात भी हो रही है. हौलीवुड की ऐंटरटेनमैंट कंपनी सोनी पिक्चर्स एनिमेशन ने यह घोषणा की है कि वह ईमोजी पर आधारित एक एनिमेशन फिल्म बनाने की योजना पर काम कर रही है.

नया जमाना, नई भाषा

वैसे तो शब्दों के समर्थक कह रहे हैं कि चित्रों को भाषा का माध्यम बनाना गलत है, पर यह एक सचाई है कि जिस तरह से स्मार्टफोन पर शब्दों के बजाय कोई बात चित्रों के जरिए कह दी जाती है, उस में भाषा का खो जाना स्वाभाविक है. कोई बात कहने के लिए अब जरूरी नहीं रह गया है कि एक लंबा वाक्य ही कहा जाए. जैसे धन्यवाद कहने या आभार प्रकट करने के लिए उठा हुआ अंगूठा बना दिया जाता है या शाबाशी देने के लिए ताली बजाते हाथों का संकेत बना दिया जाता है. उसी तरह अन्य भाव भी चित्रों से आसानी से व्यक्त हो जाते हैं. इसलिए इस की पूरी संभावना है कि निकट भविष्य में स्माइली की तरह ईमोजी भी पूरी दुनिया पर छा जाए. फिर अब तो ईमोजी के बढ़ते आंकड़े भी हैं. जैसे औक्सफोर्ड और एक अन्य कंपनी स्विफ्टकी ने अपने सर्वेक्षणों के आधार पर आकलन किया है कि ईमोजी का ब्रिटेन में 20% और अमेरिका में 17% मैसेजिंग में इस्तेमाल हो रहा है. यही नहीं, 2014 के मुकाबले 2015 में ईमोजी का तीनगुना ज्यादा इस्तेमाल हुआ, जिस से प्रभावित हो कर ही औक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने इसे डिक्शनरी में जगह देने का फैसला किया. हो सकता है कि जल्द ही ईमोजी मनोरंजन की भाषा न रह कर कामकाज की भाषा भी बन जाए.

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