सिरैमिक टैक्नोलौजी इंजीनियरिंग एवं टैक्नोलौजी की एक ऐसी उभरती शाखा है, जिस के अंतर्गत सिरैमिक मैटीरियल की प्रौपर्टी, मैन्युफैक्चरिंग, डिजाइनिंग और उस के कार्यों का विधिवत अध्ययन किया जाता है. एक सिरैमिक डिजाइनर का वास्ता इंडस्ट्री, घरगृहस्थी, शिक्षण संस्थान, कौरपोरेट हाउस तथा अन्य जगहों पर प्रयोग होने वाले सिरैमिक बरतनों के विभिन्न डिजाइनों से पड़ता है. ये सिरैमिक बरतन न सिर्फ देखने में सुंदर होते हैं बल्कि उपयोग की दृष्टि से भी लाभकारी साबित होते हैं.

सिरैमिक प्रोडक्ट के अंतर्गत टेबल और किचन के बरतनों के साथसाथ सुंदर दिखने वाले फ्लावरपौट, बिल्डिंग मैटीरियल आदि को शामिल किया जाता है. सीमेंट को भी सिरैमिक मैटीरियल से जोड़ कर देखा जाता है. सिरैमिक टैक्नोलौजिस्ट सिरैमिक मैटीरियल के अध्ययन, शोध एवं विकास, विभिन्न इंजीनियर्स के साथ प्लांट व अन्य मशीनरी की डिजाइनिंग और निर्माण संबंधी प्रक्रिया को अंजाम देते हैं. इस के अलावा इस में प्लानिंग एवं विभिन्न प्रक्रियाओं को लागू करने, ग्लास, पोर्सिलेन, सीमेंट, इंसुलेटर्स, तामचीनी, कंपोजिट मैटीरियल आदि की डिजाइन तथा उन के विकास से जुड़े कार्य भी प्रमुखता से संपन्न होते हैं. कोई भी छात्र जो सिरैमिक टैक्नोलौजी के क्षेत्र में कैरियर बनाने का इच्छुक है, उसे रोजगार के अवसरों में आने वाली परेशानियों के लिए खुद को तैयार रखना होगा. बतौर प्रोफैशनल्स आप सिरैमिक बरतन बनाने वाली कंपनियों, स्टील फैक्टरी एवं किसी लैब में रिसर्चर के रूप में जौब पा सकते हैं.

कोर्स एवं संबंधित योग्यता

यदि आप सिरैमिक टैक्नोलौजी के बैचलर प्रोग्राम में दाखिला चाहते हैं तो आप को 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों सहित विज्ञान विषयों से पास होना जरूरी है. कई ऐसे इंजीनियरिंग कालेज भी हैं जो सिरैमिक में 4 वर्षीय बीई या बीटैक कोर्स कराते हैं. इन कोर्सों में चयन भी इंजीनियरिंग की अन्य शाखाओं की तरह प्रवेश परीक्षा के बाद ही मिल पाता है. बैचलर के बाद डेढ़ वर्षीय एमटैक का रास्ता खुलता है, जबकि पीएचडी डिगरी के लिए रिसर्च से जुड़े कार्य करने पड़ते हैं.

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