मनुष्य की तरह पशुपक्षी भी अनेक रोगों के शिकार होते हैं. मनुष्य तो आसानी से अपने दर्द को बयां कर सकता है और डाक्टर भी उस की बीमारी के अनुरूप उस का इलाज करता है, पर जानवर तो बेजबान होते हैं, वे अपनी पीड़ा किसी को नहीं बता सकते इसलिए उन के शारीरिक लक्षणों को देख कर वैटिरिनरी डाक्टर अंदाजा लगा लेते हैं कि पशु की तबीयत खराब है. मनुष्य की तरह पशुओं की बीमारियों को भी डाक्टर टैस्ट करता है और फिर उस का इलाज करता है.
वैटिरिनरी साइंस अपने में एक कंप्लीट साइंस है, इसलिए जिन युवाओं को पशुओं से प्रेम है वे वैटिरिनरी डाक्टर बन कर पशुओं का इलाज कर सकते हैं.
एक वक्त था, जब पशुओं के चुनिंदा अस्पताल और डाक्टर होते थे, इसलिए बहुत से पशु तो बीमारी की वजह से बिना इलाज के मर जाते थे. इसी वजह से कई पक्षियों की तो प्रजातियां ही विलुप्त हो गईं. जानवरों की रक्षा और उन्हें विलुप्त होने से बचाने के लिए ‘वर्ल्ड एनिमल वेलफेयर डे’ 4 अक्तूबर को पूरे विश्व में मनाया जाता है. अब जानवरों की रक्षा के लिए सरकारी और निजी संस्थानों द्वारा अथक प्रयास किए जा रहे हैं. उन की रक्षा के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति से ले कर चिकित्सक तक रखे जा रहे हैं. हाल के वर्षों में बीमारियां फैलने के मामले सामने आ रहे हैं जैसे बर्ड फ्लू व स्वाइन फ्लू. इस कारण इस क्षेत्र में प्रशिक्षित पशु विशेषज्ञों की आवश्यकता और बढ़ गई है. यदि आप साइंस बैकग्राउंड से हैं और पशुओं की रक्षा करना चाहते हैं, तो आप के लिए वैटिरिनरी साइंस में बेहतर कैरियर विकल्प हो सकता है.
क्या है वैटिरिनरी साइंस
पशुपक्षियों में होने वाली बीमारियों का पता लगा कर सही तरीके से इलाज कर उन्हें उन की तकलीफ से छुटकारा दिलाना ही वैटिरिनरी साइंस है. एक अनुमान के मुताबिक भारत में पशुओं की संख्या लगभग 50 करोड़ है जोकि विश्व में सब से अधिक है. लेकिन इन की देखभाल व इलाज के लिए वैटिरिनरी डाक्टर्स की भारी कमी है.
प्रमुख कोर्स
– बैचलर औफ वैटिरिनरी साइंस ऐंड एनिमल हसबैंड्री -5 वर्ष.
– वैटिरिनरी ऐंड लाइवस्टौक डैवलपमैंट डिप्लोमा – 2 वर्ष.
– मास्टर औफ वैटिरिनरी साइंस – 2 वर्ष.
– पीएचडी इन वैटिरिनरी साइंस – 2 वर्ष.
कैसे मिलेगा प्रवेश
वैटिरिनरी साइंस में ग्रैजुएशन के लिए प्रवेश परीक्षा होती है. इस परीक्षा में आवेदन के लिए फिजिक्स, कैमिस्ट्री व बायोलौजी विषयों में 50% अंकों के साथ 12वीं पास करना अनिवार्य है. यह परीक्षा वैटिरिनरी काउंसिल औफ इंडिया के द्वारा हर वर्ष मई व जून में आयोजित की जाती है. प्रत्येक राज्य के वैटिरिनरी कालेज की 15% सीटें इसी परीक्षा के द्वारा भरी जाती हैं. बाकी सीटें उसी राज्य के प्रतियोगियों के लिए आरक्षित होती हैं जहां वैटिरिनरी कालेज स्थित होता है.
किस तरह के पाठ्यक्रम
इस के पाठ्यक्रम में आप को थ्योरी तथा प्रैक्टिकल दोनों का ज्ञान दिया जाता है. शुरू में आप को एनाटोमी, बायोकैमिस्ट्री, फिजियोलौजी, न्यूट्रीशन, लाइवस्टौक मैनेजमैंट ऐंड प्रोडक्शन पैथोलौजी तथा जैनेटिक्स आदि विषय पढ़ाए जाते हैं. इस के बाद प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के लिए वैटिरिनरी हौस्पिटलों में भेजा जाता है.
कार्यस्वरूप डाक्टर्स का कार्य पशुओं के स्वास्थ्य का खयाल रखना, उन्हें बीमारियों से छुटकारा दिलाना, उन के रहनसहन व खानपान में सुधार तथा उन की उत्पादन तथा प्रजनन क्षमता बढ़ाना होता है.
फ्यूचर प्रौस्पैक्टस
वैटिरिनरी इंडस्ट्री के कमर्शियलाइजेशन तथा भारत सरकार की उदारीकरण नीतियों के कारण यह इंडस्ट्री काफी उन्नति कर रही है. फूड मैन्युफैक्चरिंग, फार्मास्युटिकल्स, वैक्सीन प्रोडक्शन इंडस्ट्री से संबंधित मल्टीनैशनल कंपनियों के आने से वैटिरिनरी क्षेत्र में नौकरी की अपार संभावनाएं पैदा हुई हैं.
पशु चिकित्सक जहां सरकारी तथा गैर सरकारी वैटिरिनरी अस्पतालों, एनिमल हसबैंड्री डिपार्टमैंट, पौल्ट्री फार्म, डेयरी इंडस्ट्री, मिल्क ऐंड मीट प्रोसैसिंग इंडस्ट्री, फार्मास्युटिकल सैक्टर तथा एनिमल बायोटैक्नोलौजी के क्षेत्र में कार्य कर सकते हैं वहीं निजी अस्पताल या क्लीनिक खोल कर भी अच्छी कमई कर सकते हैं. इस के अलावा रिसर्च ऐंड डैवलपमैंट के क्षेत्र तथा शिक्षण संस्थानों में शिक्षक के तौर पर भी काम किया जा सकता है