हम अकसर यह बात करते हैं की आज तकनीक इतनी ज्यादा विकसित हो चुकी है कि कहीं भी कभी भी कुछ भी संभव है. बस एक क्लिक और आपका संदेश दूर बैठे आपके दोस्त, रिश्तेदार तक पहुंच जाता है, आप घर बैठे देश दुनिया की खबरों से रूबरू हो जाते हैं. लेकिन क्या कभी सोचा है कि यह सब कैसे संभव होता है. जरूर सोचा होगा, और जवाब भी मिला होगा. यह सब इंटरनेट के कारण ही तो हो पाता है. बेशक यह सब इंटरनेट के कारण ही हो पाता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये इंटरनेट है क्या चीज, कैसे काम करता है, कहां से आता है, कहां जाता है, कौन है इसका मालिक, आदि. यदि आपने कभी इन सब बातों पर गौर नहीं फरमाया है तो चलिए आज हम आपको देते हैं इस इंटरनेट से जुड़ी हर जानकारी.

इंटरनेट है क्या

इंटरनेट (Internet : internationa. network of computer ) एक ऐसा माध्यम है जो दुनियाभर के सर्वर को लगभग सभी देशों से जोड़ता है. आप इसे इस उदाहरण से समझ सकते है. जैसे हाईवे विभिन्न राज्यों को एक दूसरे से जोड़ती है ठीक वैसे ही इंटरनेट एक ग्लोबल प्रणाली है जो बहुत से कंप्यूटर नेटवर्क को मिलाकर बनती है. इंटरनेट समुंदर और तारों द्वारा फैलाया गया एक जाल है जो दुनिया भर क लोगों को जोड़े रखता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में सबसे पहले 15 अगस्त 1995 को सरकारी कंपनी BSN. ने इंटरनेट का शुरुआत किया.

कैसे काम करता है इंटरनेट

यह जानने के बाद कि इंटरनेट क्या है आप यह सोच रहे होंगे कि यह काम कैसे करता है. आपकी उत्सुकता को कम करते हुए आपको बता दें कि इंटरनेट औप्टिक फाइबर केबल (Optic Fiber Cable) से चलता है. 99% इंटरनेट औप्टिक फाइबर से चलता है. आप सोचेंगे आपके मोबाइल में कहां से केबल आ गया तो आपको बता दें कि जिस टावर से आपका नेटवर्क आता है वहां से एक केबल बिछी हुई है. यह औप्टिकल फाइबर समुद्र में बिछा होता है.

इंटरनेट तीन चरण में काम करता है, जिसके बारे में हम आपको आगे बताएंगे. जो भी कोई इनफार्मेशन आप इंटरनेट पर सर्च करते हैं तो आपका कंप्यूटर आपको इंटरनेट देने वाली कंपनी के सर्वर से कनेक्ट हो जाता है जिसको हम ISP (Internet service provider) कहते हैं और एक ISP को हर किसी के ब्राउजर से जो भी रिक्वेस्ट मिलती है वह सर्वर आपको भेज देता है और राउटर की मदद से आप तक आपकी इनफार्मेशन पहुचां दी जाती है.

यदि आपको इंटरनेट देने वाली कंपनी के ISP  के पास वह सुचना नहीं होती है तो वह सर्वर आस पास के बाकी सर्वरों से कनेक्ट हो जाता है और फिर वहां से जानकारी हासिल कर आप तक पंहुचाता है.

इसी नेटवर्क और केबल के कारण आप में से कुछ लोगों का इंटरनेट फास्ट होता है और कुछ का स्लो. यह केबल समुद्र में बिछाया जाता है जिसमें बड़े बड़े जहाज भी चलते है और कभी कभी जहाज से केबल को नुकसान हो जाता है और कनेक्शन टूट जाता है.

ऐसे समय में कई टीम इस केबल की निगरानी करता है और कनेक्शन टूट जाने पर इसे ठीक भी करते है. इस केबल में कई तार होते हैं. अगर कोई एक तार काम करना बंद हो जाता है तो दूसरे तार से नेटवर्क कनेक्ट किया जाता है.

कौन है इंटरनेट का मालिक

आपको जानकर हैरानी होगी कि इतने बड़े नेटवर्क का कोई एक मालिक नहीं है. ना ही कोई भी व्यक्ति पूरी तरह से इंटरनेट का एकाधिकार मालिक नहीं बन सकता.

दरअसल इंटरनेट तीन टियर में काम करता है.

पहला टियर – ग्लोबल

दूसरा टियर – नेशनल

तीसरा टियर – लोकल

इन तीनों टियर से जुड़ी हुई कंपनियां वो कंपनी होती है जो हमें इंटरनेट प्रदान करती है. मान लिजिए आप किसा वेबसाइट का इस्तेमाल कर रहे हैं और उसका सर्वर अमेरिका में है जिसमें ग्लोबल टियर की कंपनी काम करती है तो वह कंपनी समुद्र में अपनी तार बिछा रखी है, जिसके माध्यम से इंटरनेट भारत तक पहुंचता है.

इस केबल से बहुत सारा इंटरनेट आता है और कई कंपनियां (दूसरा टियर, नेशनल) यहां से इंटरनेट खरीदती है. नेशनल टियर की कंपनियां जैसे एयरटेल, आइडिया, वोडाफोन, रिलायंस हमें टुकड़ों में इंटरनेट देती है और साथ ह हमारी स्पीड पर भी कंट्रोल रखती है.

तीसरे टियर की कंपनियां वो कंपनियां होती है जो लोकल एरिया में ही इंटरनेट पहुंचाती है. इन लोकल कंपनियों को दूसरे टियर वाले कंपनी को पैसा देन होता है.

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