Divorce : शादीशुदा राजेश से प्रेम होने पर अकेलेपन का दंश झेल रही निशा घर बसा कर उस के बच्चों की मां बनने का सपना देखने लगी. लेकिन राजेश की पत्नी सरोज से मिलने के बाद अपने सपनों को हकीकत में बदलना क्या निशा के लिए आसान था?
आज मेरा 32वां जन्मदिन था और मैं यह दिन राजेश के साथ गुजारना चाहती थी. उन के घर 10 बजे तक पहुंचने के लिए मैं ने सुबह 6 बजे ही कार से सफर शुरू कर दिया.
राजेश पिछले शनिवार को अपने घर गए थे लेकिन तेज बुखार के कारण वह सोमवार को वापस नहीं लौटे. आज का पूरा दिन उन्होंने मेरे साथ गुजारने का वादा किया था. अपने जन्मदिन पर उन से न मिल कर मेरा मन सचमुच बहुत दुखी होता.
राजेश को अपने प्रेमी के रूप में स्वीकार किए मुझे करीब 2 साल बीत चुके हैं. उन के दोनों बेटों सोनू और मोनू व पत्नी सरोज से आज मैं पहली बार मिलूंगी.
राजेश के घर जाने से एक दिन पहले हमारे बीच जो वार्तालाप हुआ था वह रास्ते भर मेरे जेहन में गूंजता रहा.
‘मैं शादी कर के घर बसाना चाहती हूं...मां बनना चाहती हूं,’ उन की बांहों के घेरे में कैद होने के बाद मैं ने भावुक स्वर में अपने दिल की इच्छा उन से जाहिर की थी.
‘कोई उपयुक्त साथी ढूंढ़ लिया है?’ उन्होंने मुझे शरारती अंदाज में मुसकराते हुए छेड़ा.
उन की छाती पर बनावटी गुस्से में कुछ घूंसे मारने के बाद मैं ने जवाब दिया, ‘मैं तुम्हारे साथ घर बसाने की बात कर रही हूं.’