सरला की नजर गंगाघाट की सीढ़ियों पर बैठी उस साध्वी पर जब पड़ी तो उस के होश उड़ गए. नीची निगाह किए, मैलेकुचैले कपड़े पहने, रूखा व रक्तविहीन चेहरा, बेहद उदास आंखें लिए वह तो रोमा ही थी. रजत का ध्यान भी उधर चला गया. अब तक मनोहर लाल भी रोमा को पहचान चुके थे. लेकिन