कितनी खुश थी सुलेखा पटना पहुंच कर. पुराने खुशनुमा दिन याद आ गए लेकिन अचानक से एक कड़वा अतीत उस के सामने आ खड़ा हुआ तो जैसे उस पर वज्रपात हो गया.