आयना ने आखिरी बार पोर्टफोलियो राघव एजेंसी में भिजवाया था. कुछ हो जाए, इस के बाद वह मौडलिंग के लिए प्रयास नहीं करेगी. 4 महीने पहले ही वह पटना से दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने आई थी. पौकेटमनी के लिए उस के क्लासमेट पार्टटाइम जौब करते थे. उस ने भी मैकडोनाल्ड में पार्टटाइम जौब कर ली. उस की खूबसूरती देख उस के साथी उसे अकसर कहते, ‘‘तुम तो मौडल लगती हो. मौडलिंग क्यों नहीं करती?’’ सब के कहने पर उस ने अपना एक आकर्षक पोर्टफोलियो बनवा लिया और मौडलिंग की चाह लिए कई विज्ञापन एजेंसियों व फोटोग्राफर्स से मिली, लेकिन उसे निराशा ही हाथ लगी. अपनी सारी बचत भी उस ने पोर्टफोलियो बनवाने में लगा दी थी.
एक दिन उस की क्लासमेट सपना ने उसे कुछ एजेंसियों के बारे में बताते हुए कहा, ‘‘ये एजेंसियां मौडलिंग और इवैंट का काम दिलवाती हैं. परंतु इस के लिए वे रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में मोटी रकम वसूलती हैं.’’
इस में भी आयना ने काफी रकम खर्च कर कई एजेंसियों में रजिस्टे्रशन करवाए. इन एजेंसियों ने मौडलिंग असाइनमैंट तो नहीं, हां कुछ इवैंट्स में जरूर काम दिलवा दिया था.आयना अब तक अपना काफी समय मौडलिंग के चक्कर में बरबाद कर चुकी थी. इस चक्कर में उस की पढ़ाई भी काफी प्रभावित हुई थी. नतीजतन, ऐग्जाम में उस के सभी दोस्तों के अच्छे नंबर आए थे जबकि आयना पिछड़ गई थी.आयना जबतब घर से भी पैसे मंगवाती रहती थी. उस के घर वाले भी चिंतित रहते थे कि कहीं वह ड्रग्स वगैरा के चक्कर में तो नहीं पड़ गई. पहली बार आयना के नंबर भी कम आए थे.अब तक आयना भी सबकुछ समझ चुकी थी. उसे यह समझ आ गया था कि ग्लैमर की चकाचौंध में उस ने अपने उभरते कैरियर के साथ खिलवाड़ किया है. उसे सबकुछ हार जाने की ग्लानि थी. परंतु जब दोस्त ताने मारते और मजाक उड़ाते तो उसे दुख होता बावजूद इस के वह एक बार और कोशिश करना चाहती थी.
आयना ने इवैंट्स में काम करते हुए अच्छाबुरा हर प्रकार का अनुभव प्राप्त किया था. किसी तरह संपर्कों के बूते वह छोटेछोटे असाइनमैंट भी करने लगी थी, लेकिन जोड़तोड़, चतुराई आदि से काम लेना उस के बस की बात नहीं थी, जबकि दूसरे लोग इसे मैनेजमैंट स्किल कहते थे. ठीक भी था. उस का व्यवहार भी उसे इस क्षेत्र के लिए योग्य नहीं बनाता था. परंतु झूठा अहं उस के आड़े आ जाता था. पता नहीं मौडलिंग में कैरियर बना कर वह क्या साबित करना चाहती थी.एक दिन आयना ने कालेज लाइबे्ररी में कुछ सीनियर्स को देखा, जिन्होंने एक युवक को घेर रखा था. उस युवक की हालत बुरी थी. पता चला कि वह इमारत से कूद कर जान देने पर आमादा था.उत्सुकतावश आयना ने मामले की छानबीन की तो सामने आया कि वह युवक आईएएस की परीक्षा की तैयारी कर रहा था. परीक्षा के प्रयास खत्म होने पर उस की यह हालत हुई है. उस का सपना सिर्फ आईएएस बनना ही था जो टूट गया था. अब वह दुनिया को क्या मुंह दिखाता.
पहले तो आयना को हैरानी हुई कि दुनिया की इतनी फिक्र करने वाला कोई हो सकता है. फिर लगा, जैसे किसी ने उसे आईना दिखा दिया हो. वह भी तो यही कर रही है. दिशाहीन है वह भी. जानतेसमझते हुए भी वह ऐसी स्थिति की ओर बढ़ रही है. बस, अब और नहीं, आयना ने जैसे खुद को सचेत किया और तुरंत निर्णय लिया कि इस दिशाहीन स्थिति पर अब वह फुलस्टौप लगा देगी. नहीं बढ़ना उसे आगे. जीवन में राहें और भी हैं, फिर मौडलिंग ही क्यों?