Writer- धीरज राणा भायला

मैं अपने ही शहर में होने के बावजूद 1 माह बाद अपने घर में दाखिल हुआ था. पूरे 30 दिन मैं ने दीप्ति के साथ लिवइन में उस के छोटे से घर में बिताया था. इस 1 महीने मैं बेहद खुश रहा था जैसे मन की मुराद पूरी हो गई हो. दीप्ति औफिस में मेरी कुलीग थी. हालांकि उस की उम्र मुझ से 5 साल कम थी मगर वह इतनी खूबसूरत थी कि मैं उस से प्रेम करने लगा था और 1 हफ्ते के मुख्तसर से वक्त में हम ने साथ जीनेमरने की कसमें भी खा ली थीं. यह अलग बात है कि शादी होने से पहले ही लिवइन में एकदूसरे के साथ रहने का हमारा यह फैसला जिहादी था.

शादी में एकमात्र और गंभीर समस्या मेरी पहली पत्नी पूनम थी, जिस से मैं ने 10 साल पहले ठीक इसी तरह से प्रेमविवाह किया था और 1 साल बाद ही मुझे वह औरत इतनी बोर लगने लगी थी कि मैं ने उस की तरफ ध्यान देना ही छोड़ दिया था. अगले 9 सालों तक हमारे बीच रिश्ते कुछ ऐसे रहे जैसे किसी मजबूरी के तहत 2 यात्री किसी 1 ही सीट पर यात्रा करने को विवश हों.

आज घर लौटने के पीछे दीप्ति का आग्रह बड़ी वजह थी. उस ने कहा था कि लिवइन में रहने से अच्छा है कि मैं जा कर पत्नी से तलाक की बात करूं और जैसे भी हो उसे राजी करूं. मुझे विश्वास नहीं था कि तलाक की बात पर वह राजी होगी. आखिर हमारा 8 साल का बेटा वह सूत्र था जिस की वजह से वह मुझ से आज तक बंधी हुई थी और मुझे लगता था कि यह बंधन अब मजबूत होता जा रहा था. बावजूद इस के कि पत्नी का मेरे जीवन मे कोई महत्त्व शेष न था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...