2कैप्टन मनीष को असम से नागालैंड में तबादले का और्डर मिला तो उन का दिल कुछ उदास होने लगा. पर और भी बहुत सारे साथियों के तबादले के और्डर आए थे, यह जान कर कुछ ढाढ़स बंधा. सोचा, कुछ तो दोस्त साथ होंगे, वक्त अच्छा बीतेगा. नागा विद्रोहियों की सरगर्मियां काफी बढ़ी हुई थीं. यही देखते हुए पहाड़ी फौज की 4 बटालियनों को कोहिमा भेजना जरूरी समझा गया. कैप्टन मनीष कोहिमा रैजिमैंट हैडक्वार्टर पर हाजिर हुए तो उन की कंपनी को कोहिमा से 60 किलोमीटर की दूरी पर खूबसूरत पहाडि़यों के दामन में स्थित फौजी कैंप में पहुंचने का आदेश मिला. जैसे ही वे सब कैंप पहुंचे तो चारों ओर नजर फिराते हुए बहुत प्रसन्न हुए.

चारों तरफ ऊंचे पहाड़, उन पर साल और देवदार के पेड़. नीचे मैदानों में चारों ओर मीलों तक फैली हरियाली और सब्ज मखमली घास. तरहतरह के कुसुमित पुष्पों ने उन का मन मोह लिया. दूसरे दिन शाम को जीप में कैंप से 2 मील की दूरी पर निरीक्षण चौकी का मुआयना कर के लौटे तो रास्ते में एक छोटे रैस्टोरेंट के सामने कौफी पीने के लिए जीप रोक दी. भीतर कोने में पड़ी टेबल पर कौफी का और्डर दे कर बैठे ही थे कि उन की नजर कुछ दूर बैठे एक जोड़े पर गई. दोनों ने मुसकराते, गरदन हिला कर कैप्टन का अभिवादन किया. कैप्टन ने देखा कि दोनों स्थानीय थे और चेहरेमोहरे से नागालैंड के ही लग रहे थे. लड़की स्कर्ट व ब्लाउज पहने हुए थी. उस का जिस्म खूबसूरत व सुडौल था, नाकनक्श तीखे थे. दोनों ने आपस में कुछ खुसुरफुसुर की और उठ कर कैप्टन के पास आए.

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