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"कितना प्यार करते हो?" थोड़ी चुप्पी के बाद मालती बोली.

"मैं उस के साथ आगे का जीवन जीना चाहता हूं. मैं…मैं... शादी करना चाहता हूं प्रीति से," एक सांस में कह गया अभय. वह जानता था कि वह जिस से यह बात कर रहा है वह प्रीति की सास है. मालती के जवाब के इंतजार में वह अपनी उंगलियां चटकाने लगा.

"और प्रीति, क्या वह भी तुम्हें प्रेम करती है?" मालती ने सवाल किया.
मालती के सवाल से अभय के चेहरे पर पीड़ा नजर आई. एक पल को वह खामोश हो गया और फिर धीरे से बोला,"वह बात नहीं कर रही. मुझे यकीन है कि उस के दिल में मेरे लिए जगह है लेकिन स्वीकार नहीं कर रही," अभय ने निराश हो कर कहा.

"तुम्हारे लिए उस के मन में जगह है यह कैसे कह सकते हो अभय? जब तक वह स्वीकार न करे, तुम यह कैसे मान बैठे हो कि वह तुम्हें प्यार करती है?" मालती के स्वर में थोड़ी तेजी थी.

"प्लीज आंटी, आप नाराज न हों. वह आप से, नेहा से बहुत प्यार करती है. आप दोनों के अलावा उसे कुछ नजर नहीं आता," अभय के चेहरे पर कुछ चिंतित भाव थे. उस की बात मालती के दिल में धक से लग गई. कहीं सच में उन के कारण ही तो प्रीति अपने लिए कुछ सोचना नहीं चाहती.

"आंटी…मेरा मतलब, मैं आप का दिल नहीं दुखाने…सौरी आंटी…मुझे ऐसे नहीं कहना चाहिए था," अभय को अपनी गलती का एहसास हुआ.

"कोई बात नहीं अभय. तुम ने कुछ गलत नहीं कहा," मालती बोली.

"मुझे आप अपना बेटा नहीं बना सकतीं?" अभय ने अचानक से कहा.
इस बात से मालती की आंखों में नमी उतर आई. वह उस के चेहरे को देखने लगी.

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