उन्होंने मुझे देखा, तो तुरंत स्वागत के लिए उठे, ‘‘मैम, मैं कैप्टन रमनीक सिंह, यहां वर्कशौप अफसर हूं.’’ ‘‘मैं कैप्टन सूरज कुमार, आर्मी और डनैंसकोर, अफसर इंचार्ज टैक्निकल स्टोर सैक्शन.’’मैं ने अपना परिचय दिया, “कैप्टन नीरजा गुप्ता.” सभीने खुशी जाहिर की. बस, इतना ही परिचय हुआ. वे व्हिस्की पीने लगे और मैं ने अपने लिए वाइन मंगवाई.
‘‘कैप्टन नीरजा, बुरा न मानें, यहां वाइन नहींचलेगी. सर्दी बहुत है. व्हिस्की पिएं या रम,’’ कैप्टन रमनीक सिंह ने कहा. मैं ने वाइन का और्डर कैंसल कर के व्हिस्की लानेके लिए कहा. धीरेधीरे कर के मैं 2 पैग गटक गई. कैप्टन नसीर एहमद साहब थोड़ी देर से आए. वे नमाज पढ़ने गए थे. उन्होंने भी 2 पैग लिए. मुझ से केवल हाथ मिलाया और यह पूछा, “आप कल के इंटरव्यू के लिए तैयार हैं?”’ मैं ने कहा, ‘‘जी, सर.” डिनर मेरे लिए कमरे में आना था. मैं सभी को गुडनाइट कर के अपने कमरे में आ गई. पहले सोचा, घरमें बात कर लेती हूं. फिर विचार त्याग दिया. जबान लड़खड़ाएगी तो अच्छा नहीं लगेगा.
मैं ने कपड़ेबदले और बिस्तर पर लेट गई. सोचा, लेह में अपनी पुरानी यूनिट से बात करती हूं. फिर यह विचार भी छोड़ दिया.फौज की दोस्ती गेट तक होती है. यह किसी हद तक सब केलिए सत्य है. इस के कारणों का पता नहीं है. थोड़ी देरमें डिनर आया और मैं खा कर सो गई. रात को काफी देर बाद नींद आई. सुबह 6 बजे नांबियर चाय ले कर हाजिर हुआ.“जय हिंद मैम. उठिए गरमगरम चाय पिएं.”मैं उठी, मैं ने उस से पानी देने के लिए कहा.मैं ने 2 गिलास पानी पिया. फिर आराम से चाय पीने लगी. नांबियर ने गीजर औन कर दिया और चला गया. मैं फ्रैश हो कर, नहा कर बाहर आई. 8 बजे मेरे लिए नाश्ता आ गया था. डाइनिंग इन से पहले मैं मैस में बैठ कर नाश्तानहीं कर सकती थी.
नाश्ता कर के मैं यूनिफौर्म पहन कर तैयार हो गर्ह. 10 बजे बटालियन कमांडर से इंटरव्यू का समय था. मुझे 9 बजे कैप्टन नसीर साहब को रिपोर्ट करनी थी. कैप्टन नसीर साहब को ही बटालियन कमांडर साहब के पास मुझे लेकर जाना था. समय पर जीप आई और हम दोनों बटालियन के लिएचल दिए. ड्राइवर पिछली सीट पर बैठा. कैप्टन नसीर साहब मुझे गहरी नजरों से देख रहे थे. मैं ने सोचा, वेमेरी यूनिफौर्म चैक कर रहे हैं कि वह इंटरव्यू के लिए ठीक है या नहीं. फिर मुझे एहसास हुआ कि वे और कुछ देखने में लीन हैं. मेरी छठी इंद्रिय ने मुझे बता दिया था. मैं ने कहा, “कैप्टन नसीर, चलें.”उन्होंने कहा कुछ नहीं लेकिन गाड़ीस्टा र्ट की और तेजी से बटालियन की तरफ चल दिए. हमें वहां पहुंचने में आधा घंटा लग गया.
मेजर राम किशन साहब वहां के एडयूटैंट थे. उन्होंने इंटरव्यू रजिस्टर में एंट्ररी की और तुरंत बटालियन कमांडर ब्रिगेडियर चोपड़ा साहब के पास चले गए. मुझे कमरे के बाहर खड़े कर गए, कहा, “जब मैं अंदर आने के लिए कहूं, तब अंदर मार्च करना. वैसे कमांडर साहब बहुत कमबात करते हैं.” ‘‘सर.’’ मैं चुपचाप खड़ी हो गई. थोड़ीदेर में बुलावा आया. मैं तुरंत अंदर गई. स्मार्ट सैल्यूट किया. वे अपनी कुरसी से उठ कर आए, हाथ मिलाया, कहा, “हेलो, यंग लेडी. आप का इस बटालियन में स्वागत है. यहां के टेनोयर के लिए शुभकामनाएं. मेजर राम किशन साहब मार्च करें.” मैं सैल्यूट कर के बाहर आ गई. कैप्टन नसीर मेरे साथ चलने लगा. मेजर राम किशन ने कहा, “नसीर, आप गाड़ी में बैठें. मुझे नीरजा को कुछ इंस्ट्रक्शन देन है.”
मेजर साहब ने मुझे बैठाया और कहा, ‘‘पतानहीं, आप को इस गधे नसीर के साथ क्यों भेजा गया है.यह बहुत बदनाम और ऐयाश आदमी है. मैं अभी इस को आप के साथ नहीं भेजूंगा. वैसे, यह 2 दिन में पोस्टिंग चला जाएगा. आप का इंतजार हो रहा था.’’उन्होंने कैप्टन नसीर को बुलाया, कहा, “नसीर, आपयूनिट में चले जाएं, कैप्टन नीरजा दोपहर लंच के बाद आएंगी. हम गाड़ी में भेज देंगे.”‘‘ठीक है, सर.’’कैप्टन नसीर गया, तो मैं ने कहा, “मैं सुबह जबआ रही थी, मुझे लगा था कि नसीर मुझे सही नजरों से नहीं देख रहा है. मेरी छठी इंद्रिय ऐक्टिव हो गई थी. मन ने सोच लिया था कि अगर कुछ कहा तो मैं थप्पड़ मारने से पीछे नहीं हटूंगी.‘‘बिलकुल यही करना है. 2 दिनों से ज्यादा यहां नहीं रहेगा. मैं ने आप के कमांडर साहब से कह दिया है और साथ में डांटा कि नसीर के साथ नीरजा को क्यों भेजा. 2 दिन में कैप्टन नीरजा के पास यह आदमी नहीं जाना चाहिए. इस ने कमांडर साहब की वाइफ को छेड़ दिया था. अभी कमांडर साहब ने आप के साथ देखा, तो मुझे आप को लंच के बाद भेजने का इंस्ट्रक्शन दिया.’’“थैंक्स, सर,” मैं ने कहा.‘‘नो नीड टू थैंक्स. इट्स अवर डयूटी.
मैं आप को अफसर मैस में छुडवा देता हूं. आप वहां केगेस्टरूम में रैस्ट करें. मैं मैस हवलदार कोइंस्ट्रक्शन दे दूंगा.’’ उन्होंने बाहर खड़े संतरी से कह कर अपनी गाड़ी मंगवाई और अफसर मैस भेज दिया. वहां के मै सहवलदार ने गेस्टरूम खोल दिया, पूछा, “क्या पीना पसंद करेंगी, मैडम?”’‘‘मुझे अच्छी चाय चाहिए. मैं तेज गरम पीतीहूं.’’“मैं अभी भिजवाता हूं.”थोड़ी देर बाद शानदार चाय आई. मन खुशहो गया. हृदय में यह विचार प्रखर था. अगर एक बरबाद करने वाला है तो 10 बचाने वाले भी हैं. नसीर जिस जाति से है, उस की वृत्ति ही ऐजासी की है. एक नहीं, 3-3 बीवियों से भी प्यास नहीं मिटती. मैं समझती हूं, यह केवल नसीर एहमद की वृत्ति नहीं है बल्कि हर पुरुष की यहीवृत्त है कि वह नारी को एक बार अजमाने की ट्राई जरूर करता है. उस की फितरत है कि वह नारी के समक्ष एकदम नंगा होजाता है, केवल उस की आंख का इशारा चाहिए होता है. परनारी को करप्ट करना आसान नहीं होता.
इस सत्य से पग पग परउसे सामना करना पडेगा, यह मैं जानती हूं. मैं जाने कब सो गई थी. लंच के समय मैस हवल दार ने जगाया. लंच किया और मेजर राम किशन साहब ने मुझे अपनी गाड़ी दे कर कर यूनिट में छुड़वा दिया. मुझे बताया गया कि यूनिट कमांडर का कल इंटरव्यू है. आजउन्हें काम से बाहर जाना पड़ रहा है. मेरे लिए अब कोई काम नहीं था. मैं ने यूनिफौर्म उतारी और पलंग परलेट गई.
कल से घर में बात नहीं की थी. मैं ने घर में फोन लगाया. सब से बात की, बताया कि अपनी नई यूनिट में श्रीनगर पहुंच गई हूं. सब ने बधाई और शुभकामनाएं दीं. मैं ने मम्मीपापा के लिए सेना अस्पताल से इलाज करवाने के लिए अथौरिटी लैटर भिजवा दिया था. जो दवाइयां हजारों रुपया लगा कर बाजार से खरीदनी पड़ती थीं, वे फ्री मिलने लगीं. वे दोनों आशीर्वाद देते थकते नहीं थे.
कल कमांडिंग अफसर कर्नल देवव्रत का इंटरव्यू हुआ. वे जैंटल और अच्छे थे. उन्होंने न केवल अपने बारे में बताया बल्कि सब अफसरों के बारे में बताया. कैप्टन नसीर एहमद के बारे में भी बताया कि वे आप को अब कभी नहीं मिलेंगे. आप उन की जगह कंपनी कमांडर का चार्ज लेंगी. आप के पास नसीर का हैंडिंग टेकिंग ओवर सर्टिफिकेट आ जाएगा. आप को चुपचाप साइन कर देना है.
कल से आप कंपनी औफिस में बैठेंगी. मैं ने थैंकस कहा और सैल्यूट कर के बाहर आगई. शाम को डाइनिंग इन पार्टी थी. सिविल के 3 पीसड्रैस पहनना था.