Best Hindi Story : पंडितजी के पूजापाठ, टोटकों में पूरी तरह उलझ चुकी थी बरखा. हर समस्या का उसे एक ही उपाय दिखता, वे थे पंडितजी. लेकिन पंडितजी ने ही उस की नैया डुबो दी.
बरखा आज कुछ ज्यादा ही व्यस्त थी. अपने बगीचे से फूल, बेलपत्तियां तोड़, आरती की थाल सजा कर पूजापाठ करने के बाद बेटी वैदेही को आवाज दे रही थीं. आज तरहतरह के पकवान बनाने थे, विशेष पूजा जो थी. खानदानी पुरोहित विश्वकर्मा कुछ ही देर में बरखा के घर में पधारने वाले थे.
ब्राह्मण भोजन एवं दान, पंडितजी को नकद 51,000 रुपए के साथ मसलिन सिल्क की धोती और कोसा सिल्क का कुरता, साथ में अनाज फलादि तो हैं ही. ड्राइफ्रूट और मिठाई के डब्बे न दें तो पंडितजी की खातिरदारी अधूरी रह जाए. बरखा की भक्ति के क्या कहने. तभी तो उन्होंने अपने पति वल्लभ से छिपा कर एक पुरानी सोने की अंगूठी भी विश्वकर्मा के लिए निकाल रखी है. ये पंडितजी खानदानी गुरु हैं. उन की कृपा से पति वल्लभ का व्यवसाय और फलेगाफूलेगा.
पति ने एक एजेंसी ले रखी है, अच्छी नहीं चल रही. उन का बेटा 12वीं में है, उस का पढ़ाई में मन नहीं लगता. बेटी का स्नातक के बाद एमटैक इंजीनियर अरुण से शादी की बात जम जाए तो सोने की एक अंगूठी क्या चीज है.
बरखा की इस घर में तूती बोलती है. उन को कुछ कोई कहे, मजाल क्या.
पति वल्लभ कुछ आलसी किस्म के हैं, अपने में ही मस्त. महंगी शराब के शौकीन और नए गैजेटों के दीवाने.
वल्लभ के शौक ऐसे थे कि उन की आय से ज्यादा पैसे उन में व्यय हो जाते.
बरखा के लिए पंडितजी रामबाण थे.
पति में समझदारी आए, बेटे का पढ़ने में मन लगे और बेटी को अच्छा वर मिले, इन्हीं आशाओं में बरखा पंडितजी के बताए टोटके अपनाती रहती. कभीकभार पति या बेटे में कुछ परिवर्तन देख वह उत्साहित हो जाती, कि हो न हो यह पंडितजी के बताए उपायों का ही कमाल है.
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