लेखिका-अर्विना

तरंगिणी एक बिल्डर के आफिस में रिसेप्शन पर काम करती  थी . आज रविवार का दिन होने की वजह से फ्लेट देखने और बुक करने वालों की भीड़ थी .

एक्सक्यूजमी .....

...क्या  आप बता सकती हैं मि. चड्डा कहां मिलेंगे ?

तरंगिणी ने ऊपर देखा तो देखती ही रह गई सांवला रंग तीखे नाक नक्श छः फिट लगभग हाईट हेंडसम लग रहा था . बिना पलकें झपकाए उसकी और देखने अलपक निहारने लगी .

मेडम ! सुनिये चड्डा जी कहां मिलेंगे में यहां बतोर एकाउंट आफीसर की पोस्ट पर ज्वाइन करने आया हूं .

तरंगिणी झेप गई  .. जी  वो .. आप दाहिने हाथ की तरफ बने रुम नंबर तीन  में चले जाईये वहीं चड्डा जी अपने केबिन में बैठे हैं.

धन्यवाद मेडम .

आप मुझे तरंगिणी कह सकते हैं .

माधवन मुस्कुराते हुए आगे की ओर बढ़ गया .

आई कम इन सर . आओ माधवन ! और कोई परेशानी तो नहीं हुई पहुंचने में , ओह ! नो ..नो सर , बैठो माधवन .

माधवन तुमहारे रहने के लिए  वन बीएचके का फ्लेट मिलेगा उसकी चाबी तरंगिणी से ले लेना अभी तुम सफर से आए हो जाकर आराम करो  , किसी भी तरह की जानकारी चाहिए तो तरंगिणी तुम्हें हेल्प कर देगी .

ओके ....सर धन्यवाद .

माधवन केबिन से बाहर निकल कर रिसेप्शन की

बढ़ा गया देखा तरंगिणी अभी बैठी हुई थी .

तरंगिणी मेडम !  मेडम ..वेडम नहीं आप... मुझे  तरंगिणी कह सकते हैं .

ओके !   आज से बल्की  अभी से  तरंगिणी ... अच्छा ये बताओ की फलेट नंबर तीन किधर है और इस नाचीज़ को भूख भी बहुत जोर से लगी है .आस पास कोई रेस्टोरेंट है क्या?

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