"रश्मि, रश्मि, कहां हो तुम?  भई, यह करेले का मसाला तो कच्चा ही रह गया हैं," फिर हंसते हुए भूपिंदर बोला, "सतीश जी, जिस  दिन कुक नहीं आती है, ऐसा ही कच्चापक्का खाना बनता है."

ये सब बातें करते भूपिंदर यह भी भूल गया था कि आज रश्मि कोई नईनवेली दुलहन नहीं है बल्कि सास बनने वाली है और आज खाने की मेज पर जो मेहमान  बैठे हैं वे उस की होने वाली बहू के मातापिता हैं.

मम्मी के हाथों में करेले पकड़ाते हुए आदित्य बोला, "क्या जरूरत थी  सोनाक्षी के मम्मीपापा को घर पर बुलाने की. आप को पता है न, पिताजी कैसे हैं?"

रश्मि बोली, "आदित्य, मूड मत खराब कर, जा कर बाहर बैठ."

जैसे ही आदित्य बाहर आया, भूपिंदर बोला, "भई, यह आदित्य तो अब तक मम्माबौय है, सोनाक्षी को बहुत मेहनत करनी पड़ेगी."

आदित्य बिना लिहाज किए बोल पड़ा, "मैं ही नहीं पापा, सोनाक्षी भी मम्मागर्ल ही बनेगी."

तभी रश्मि खिसियाते हुई डाइनिंग टेबल पर फिर से करेला की प्लेट  ले कर आ गई थी.

नारंगी और हरी तात कौटन की साड़ी में रश्मि बहुत ही सौम्य व सलीकेदार लग रही थी. खाना अच्छा ही बना हुआ था और डाइनिंग टेबल पर बहुत सलीके से लगा भी हुआ था. लेकिन भूपिंदर  फिर भी कभी नैपकिन के लिए तो कभी नमकदानी के लिए रश्मि को टोकता ही रहा था.

माहौल में इतना अधिक तनाव था कि अच्छेखासे खाने का जायका खराब हो गया था.

खाने के बाद भूपिंदर, सतीश को ले कर ड्राइंगरूम में चला गया, तो पूनम मीठे स्वर में रश्मि से बोली, "खाना बहुत अच्छा बना हुआ था और बहुत सलीके से लगा भी हुआ था. लगता है भाईसाहब कुछ ज्यादा ही परफेक्शनिस्ट हैं."

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