लेखिका-रोचिका अरुण शर्मा

कोरोना के चलते लौकडाउन हुए तकरीबन 2 महीने से ज्यादा हो चुके हैं. लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. दफ्तरों में भी छुट्टी है और कई लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं. ऐसे में सड़कें खाली हैं और कारें

पार्किंग में पार्क की हुई हैं.

मुंबई में रहने वाले अर्जुन ने पहले लौकडाउन की घटना बताते हुए कहा कि कार तकरीबन 15 दिन तक इस्तेमाल नहीं की और जब मेडिकल स्टोर से उन्हें अपने लिए बीपी और थायराइड की दवा लेने घर से बाहर जाना पड़ा, तो पार्किंग में जाते ही देखा कि कार का एक टायर फ्लैट नजर आ रहा है, सोचा पंक्चर है. क्या करता?
आजकल सब दुकानें तो बंद हैं, कहां जाऊंगा पंक्चर ठीक कराने? सो, स्टेपनी बदली, फिर बाहर गया.

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राजस्थान से रिया कहती हैं कि उन की कार भी कई दिन तक इस्तेमाल नहीं हुई. एक दिन जब कार का लौक खोला तो कार में से बहुत बदबू आ रही थी. फिर देखा, डैश बोर्ड के आसपास कुछ कागज कुतरे हुए हैं. समझते देर न लगी कि जरूर कार में चूहा आया है. ठीक से देखा तो पूरी कार में उस की गंदगी थी, जिस के कारण बदबू आ रही थी. किसी तरह पिंजरा लगा कर उसे पकड़ा.

तमिलनाडु से वेंकट कहते हैं कि 20 दिन बाद जब कार से बाहर जाने की आवश्यकता पड़ी तो स्टार्ट ही नहीं हुई, क्योंक बैटरी डेड थी.

इसी तरह की कई समस्याएं आजकल कारों में देखने को मिल रही हैं. अब चूंकि लौकडाउन बढ़ता ही जा रहा है, ऐसे में कारों का इस्तेमाल न होने या कम होने से उन के खराब होने के आसार ज्यादा हैं, क्योंकि यह तो मशीन है. अगर इसे काम में नहीं लेंगे तो जंग लगेगा ही.

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