अखबार के पहले पन्ने पर बड़ेबड़े अक्षरों में छपा था : पुलिस स्टेशन से मात्र 100 मीटर दूर स्थित फ्लैट में चाकू की नोक पर नकाबपोश ने बलात्कार किया. महिला के बयान के आधार पर विस्तृत वर्णन छपा था. महिला संगठनों द्वारा सरकार की लानतमलानत की गई. गृहमंत्री के घर पर प्रदर्शन हुआ. अखबार के तीसरे पन्ने पर खोजी पत्रकार ने बढ़ते बलात्कार की घटनाओं के आंकड़े छापे. विपक्ष के नेता ने प्रदेश में बढ़ते अपराध के लिए जिम्मेदार गृहमंत्री का इस्तीफा मांगा और सहानुभूति के लिए महिला के घर गए. पासपड़ोस के लोगों के साक्षात्कार लिए गए. किसी एक पड़ोसी ने महिला के संदिग्ध चरित्र पर टिप्पणी कर दी तो महिला पत्रकार उस व्यक्ति के पीछे पड़ गई. किसी का आचरण संदिग्ध हो तो क्या आप को उस से बलात्कार करने का अधिकार मिल गया?

पुलिस आई. विधि विज्ञान विशेषज्ञ आए. महिला का चिकित्सकीय परीक्षण हुआ. महिला के शरीर से वीर्य का नमूना लिया गया. घटनास्थल से उंगलियों के निशान उठाए गए. बिस्तर के कपड़ों पर वीर्य के धब्बों को अंकित कर कपड़े सील किए गए. महिला के शरीर से और कपड़ों पर पड़े वीर्य के नमूनों को डी.एन.ए. जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया. पुलिस ने प्रदेश के शातिर सभी अपराधियों का डी.एन.ए. परीक्षण कर रखा था. उन के डी.एन.ए. प्रिंट कंप्यूटर में सुरक्षित उपलब्ध थे. बलात्कारी के वीर्य के डी.एन.ए. प्रिंट का अपराधियों के डी.एन.ए. प्रिंट से मिलान किया गया.

परिणाम चौंकाने वाले थे. बलात्कारी के वीर्य के डी.एन.ए. प्रिंट का मिलान जिस अपराधी के डी.एन.ए. से हुआ था वह शातिर अपराधी प्रदेश के एक केंद्रीय कारागार में बलात्कार के अपराध में ही सजा काट रहा था. वारदात के समय वह जेल में ही था, उस के पुख्ता सुबूत थे. डी.एन.ए. के परिणाम गलत नहीं हो सकते. पुलिस और विधि विज्ञान के विशेषज्ञ भौचक थे. दोबारा डी.एन.ए. परीक्षण हुआ और फिर मिलान किया गया. दूसरी प्रयोगशाला में भी परीक्षण किया गया, परिणाम वही थे. डी.एन.ए. परीक्षण के आधार पर ही सजायाफ्ता अपराधी को पहले सजा हुई थी. मुख्य साक्ष्य तब भी डी.एन.ए. परीक्षण और मिलान ही था. तब भी कोई चश्मदीद गवाह नहीं था.

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