दिल्ली में देर रात तक टीवी देखने की आदत थी उन्हें, पर यहां तो मृदुल को स्कूल जाना था दूसरे दिन अगर वह भी उन के साथ बैठा रहा तो दूसरे दिन उठ नहीं पाएगा.
दूसरे दिन सुबहसुबह उन्हें रसोई से खटरपटर की आवाज सुनाई दी. शायद बहू होगी चौके में, सोच कर करवट बदल ली थी उन्होंने. पर नहीं, बात कुछ और ही थी. उठ कर देखा तो बिल्ली दूध का भगौना चाट रही थी. शायद बहू दूध फ्रिज में रखना भूल गई थी. अब चाय कैसे बनेगी? पति सुबह सैर को जा ही रहे थे. उन्होंने दूध की 2 थैलियां उन्हें लाने को कह दिया था.
राजेश उठा और जब उसे सारा माजरा समझ में आया तो बीबी को आड़े हाथों लिया था. उस ने न जाने कितने पुराने किस्से बीवी की लापरवाही के बखान कर दिए उन के सामने. नेहा अपमान का घूंट पी कर रह गई थी.
बरसों पुराना वह दृश्य अब तक उन के मानसपटल पर अंकित था, जब रीतेश ने अम्माजी के सामने दाल में नमक ज्यादा पड़ने पर उन्हें कैसे अपमानित किया था, और अम्मा नेता के समान खड़ी हो कर तमाशा देख रही थीं. अब अगर बीचबचाव करूं और यह आधुनिक परिवेश में पलीबढ़ी नेहा न बरदाश्त कर पाए तो उन के हस्तक्षेप का फिर क्या होगा?
चुपचाप अपने कमरे में लौट आई थीं वे और सोच रही थीं, ‘ये पुरुष हमेशा अपनी मां को देख कर शेर क्यों बन जाते हैं?’ उस दिन पितापुत्र के दफ्तर जाने के बाद उन्होंने घर की माई से पूछ कर कुछ दुकानों का पता किया और फल, सब्जी, दूध, बिस्कुट ले आई थीं. किसी भी मेहमान के घर आने पर खर्चा बढ़ता है, यह वे जानती थीं. फिर सब कुछ इन्हीं बच्चों का ही है, तो क्यों न इन्हें थोड़ा सहारा दिया जाए.