बड़ा घर देख कर मांबेटी दोनों बड़ी खुश हुईं और ठेकेदार को चाय पिलाई. मां ने ठेकेदार से गांव का हालचाल पूछा, खासकर बाबू लोगों का.
‘‘गजब की खबर है. पंडित रमाकांत के बेटे सुंदर को 2 दिन पहले दूर गांव के कोई मिश्राजी मास्टर के हथियारबंद लोग अपहरण कर के ले गए. सभी बाबू लोगों ने मिश्राजी के यहां दबिश दे दी. आखिरकार मिश्राजी ने हथियार डाल दिए और पंडित रमाकांत के बेटे सुंदर को मुखिया के हवाले कर दिया. चेतावनी देते हुए सभी लोग वापस गांव आ गए. यह सुन कर काजल परेशान हो गई और छत पर टहलने लगी, तभी उस की नजर सड़क पर जाती अपनी सहेली ममता पर पड़ी, जो मुखियाजी की बेटी थी. काजल ने ऊपर से ही अपनी सहेली ममता को अंदर आने का इशारा किया और दनदनाते हुए नीचे आ कर दरवाजा खोल दिया. दोनों सहेलियां गले मिलीं.
‘‘शहर में कैसी पढ़ाई चल रही है तुम्हारी?’’ ममता ने पूछा. ‘‘अच्छी, लेकिन तू बता कि उंगली में चमक रही अंगूठी कब से है? कहीं टांका भिड़ गया क्या?’’ काजल ने ममता से पूछा और अपनी परेशानी भूल गई.
‘‘अब समझ ही गई है तो कहना क्या? ‘‘मुझे क्यों भूल गई?’’
‘‘नहीं भूली काजल, चाहे जिस की कसम दे दो. लेकिन तुम तो जान रही हो न हमारी बिरादरी को. पापा मुखिया हैं. भी बदनाम हो जाते.’’ ‘‘खैर, तू बस जीजाजी से मिलवा दे, ताकि मैं देख सकूं कि मेरी चालाक सहेली ने कैसी बाजीगरी दिखाई है.’’
‘‘अभी तो वे कालेज में होंगे. क्या तू चलेगी वहां?’’ ‘‘तू साथ चलेगी तब न? मैं कैसे पहचानूंगी?’’