Writer- मोनिका राज
शादी, विदाई और उस की रस्मों में कैसे एक हफ्ता गुजर गया, पता ही न चला. मम्मीपापा का लगातार भागदौड़ कर सबकुछ करना, रिश्तेदारों का जमघट, सहेलियों की मीठी छेड़छाड़ और हर आनेजाने वाले की जबान पर बस, उस का ही नाम. भविष्य के स्वप्निल सपनों में खोई नेहा अजय के संग विदा हो कर अब अपने ससुराल पहुंच चुकी थी.
उसे यह सब किसी सपने सा प्रतीत हो रहा था. खयालों में खोया उस का मन कब अतीत की गलियों में विचरने लगा, उसे पता ही नहीं चला. तकरीबन 2 साल पहले औफिस में अजय से उस की मुलाकात हुई थी. उस की सादगी अजय को पहली ही नजर में भा गई थी. अजय ने मन ही मन उसे अपना हमसफर बनाने का निश्चय कर लिया था. एक दिन मौका देख कर उस ने अपने दिल की बात नेहा को बताई. नेहा भी अजय को बहुत पसंद करती थी. सो, उस ने सहर्ष स्वीकृति दे दी.
अजय की इंटर्नशिप कंप्लीट होने के बाद उस के घर में शादी की बात जोर पकड़ने लगी. शादी के लिए कई रिश्ते आए, पर अजय को तो सांवलीसलोनी सी नेहा पसंद थी.
मां ने नाक सिकोड़ते हुए कहा, ‘वे लोग हमारी हैसियत के बराबर नहीं हैं. तु?ो पसंद भी आई तो इतने साधारण नाकनक्शे वाली लड़की.’
पर उस ने तो जैसे जिद पकड़ ली कि वह नेहा से ही शादी करेगा. घर का इकलौता वारिस होने की वजह से आखिरकार घर वालों को उस की जिद के आगे ?ाकना पड़ा. आननफानन ही एक महीने के अंदर शादी की तारीख पक्की हो गई और फिर नेहा दुलहन बन कर अजय के घर आ गई.
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