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उन के मुख से अविनाश का नाम सुनते ही मृदुला को जैसी बिजली का  झटका लग गया था परंतु उस के बारे में और अधिक जानने की इच्छा तीव्र हो गई थी. मृदुला ने अविनाश की फैमिली के बारे में पूछ लिया. कविता की मां ने बताया कि प्रोफैसर अविनाश के साथ एक बड़ा हादसा हो गया. उन के मांबाप ने उन की शादी उन की बिना मरजी के एक कम पढ़ी लड़की से कर दी थी, जिसे अमेरिका बुलाना उतना ही असंभव था जितना उन का भारत जाना.

सो, उन्होंने उस की कमी एक अमेरिकी लड़की से शादी कर के पूरी कर ली थी, पर उसे अविनाश रास नहीं आए और वह उन्हें छोड़ कर किसी और हिंदुस्तानी के साथ चली गई. तब तो उन की हालत धोबी के कुत्ते जैसी हो गई थी. यह तो हमारे जैसे कुछ भारतीय लोगों ने उन्हें सहारा दिया था जो वे संभल पाए और आज इतने ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिक हैं. पर फिर उन्होंने न शादी की और न ही भारत जाने का नाम लिया.

कहते हैं, ‘अब मेरा भारत में है ही कौन?’ उन्होंने तो अब अरुण जैसे भारतीय विद्यार्थियों को ही अपना सबकुछ मान लिया है.

इस से अधिक सुनने की क्षमता मृदुला में न थी. जैसेतैसे समय काट कर वह अरुण के साथ वापस आई तो उस का मन अमेरिका से उचट गया था. वह शीघ्र ही भारत वापस जाना चाहती थी. अरुण के बहुत अनुग्रह पर भी वह अब वहां नहीं रहना चाह रही थी. फिर शादी पर आने का वादा कर के वह जैसेतैसे जान छुड़ा कर आज वापस आई थी.

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