सबकुछ भुला कर मृदुला के सामने सिर्फ एक मकसद अपने बेटे अरुण को पढ़ालिखा कर ऊंचे मुकाम तक पहुंचाना रह गया था. इसी साधना में वह ऐसी डूबी कि उसे अपने अकेलेपन का एहसास तक न हुआ.