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जल्दी से नीचे आ कर उस ने गेट खोला और फिर से वही बात अशोक से बोली, ‘‘आज इतनी जल्दी कैसे?’’

अशोक गाड़ी से नाश्ते का समान निकालते हुए बोले, ‘‘मेरे एक मित्र अभी आ रहे हैं, इसलिए आज जल्दी आना पड़ा. वे जर्नलिस्ट हैं, कल ही उन्हें वापस दिल्ली जाना है, इसीलिए उन्हें आज ही घर पर बुलाना पड़ा. तुम से बताने का समय भी नहीं मिला. जल्दी से आरती के साथ मिल कर तैयारी कर लो. बस, वे आते ही होंगे.’’ बात करते हुए दोनों भीतर आ गए थे.

पुष्पा ने जल्दी से आरती को आवाज दी और खुद ड्राइंगरूम सही करने में जुट गई. इतने में अशोक ने पुष्पा को इशारे से बैडरूम में बुला कर धीरे से कहा, ‘‘ध्यान से देख लेना, मैं चाहता हूं कि किसी तरह आरती का विवाह इस से करा सकूं. वरना इस उम्र में आरती के लिए कोई भी अविवाहित लड़का मिलना बहुत मुश्किल है.’’

‘‘अच्छा, तो यह बात है,’’ पुष्पा खुशी से चहक उठी. अशोक ने मुंह पर उंगली रख कर उसे चुप रहने को कहा और गेट की तरफ बढ़ गया.

पुष्पा की खुशी का ठिकाना नहीं था. वह इन 6-7 दिनों में ही आरती से बहुत घुलमिल गईर् थी. लग ही नहीं रहा था कि वे दोनों पहली बार मिली थीं. एक दोस्ती का रिश्ता बन गया था दोनों में. दोनों ने मिल कर तैयारी कर ली थी.

थोड़ी देर बाद ही सफेद रंग की लंबी सी गाड़ी दरवाजे पर आ कर रुकी. पुष्पा समझ गई, वे आ गए थे जिन की प्रतीक्षा हो रही थी. पुष्पा ने आरती को कोल्डड्रिंक ले कर जाने की जिम्मेदारी सौंप दी थी और खुद कौफी बनाने की तैयारी में लग गई. वह चाहती थी कि ज्यादा से ज्यादा आरती को मौका मिले उसे देखने का ताकि उसे विवाह के लिए राजी किया जा सके.

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