मीनल को आज भी याद है वो 14 फरवरी का दिन, जब वह आर्यन से मिलने गई थी. आर्यन को तो उस के आने का इल्म तक नहीं था. वो तो मीनल को कहीं से पता चला था कि आर्यन रोज शाम को गोमती नगर वाले आयरन मसल्स जिम में जाता है. बस, उसे सरप्राइज करने के लिए वह लाल, सफेद और पीले गुलाबों से सजा हुआ गुच्छा लिए जिम के बाहर उस की बाइक के पास खड़ी हो गई. एक्सरसाइज के बाद जैसे ही आर्यन अपनी बाइक की तरफ आया, मीनल को देखते ही खिल उठा. मीनल ने बिना कुछ कहे गुलाब उस की तरफ बढ़ा दिए. आर्यन ने भी फूल स्वीकार कर के मीनल से बाइक के पीछे बैठने का इशारा किया और दोनों पंछी उड़ चले.
हालांकि दोनों ने ही खुल कर कुछ नहीं कहा, लेकिन दिल की बातों को जबान की आवश्यकता भी कहां होती है. ये आंखों का आंखों से अनुबंध होता है. और आज आर्यन और मीनल भी इस अनुबंध में बंध गए थे.
लंबी ड्राइव के बाद दोनों एक पार्क में बेंच पर जा बैठे. आर्यन पार्क के बाहर खड़े ठेले से स्वीटकार्न चाट का एक कप ले आया, जिस में दो चम्मच रखे थे. दोनों एकदूसरे में खोए चाट का मजा ले ही रहे थे कि उन्होंने खुद को भीड़ से घिरा पाया. देखा तो कुछ गुंडेटाइप के लोग हाथ में लट्ठ लिए खड़े थे.
“क्यों बे…? बहुत प्रेम चढ़ा है क्या माथे पर? नाम क्या है तेरा?” भीड़ की अगुआई कर रहे व्यक्ति ने लट्ठ को जोर से जमीन पर मारते हुए पूछा.
“आप से मतलब…?” आर्यन ने नाराजगी से जवाब दिया.
“मतलब तो अभी समझा देंगे बेटा. नाम बताओ अपना…” कहता हुआ एक चमचा आगे आया. मीनल बहुत डर गई थी. उस ने आर्यन की बांह कस कर पकड़ ली. आर्यन ने थपथपा कर उसे हिम्मत दी. अब भीड़ उन पर हावी होने लगी थी.
“देखिए, हम दोनों दोस्त हैं. आप को कोई हक नहीं बनता हमारे आपसी मामलात में दखल देने का. आप लोग अपनी राह लीजिए, वरना मुझे पुलिस को इत्तला करनी पड़ेगी,” आर्यन ने उन्हें सख्त लहजे में कहा, तो भीड़ बावली होने लगी. एक-दो तो लट्ठ ले कर आर्यन पर हमला करने को ही आतुर हो गए. एक व्यक्ति ने आर्यन की कालर खींच ली. मीनल घबरा कर रोने लगी. आर्यन थोड़ा समझौते के मूड में आया.
“मेरा नाम आर्यन है. मैं शाह आयरन वर्क्स वाले अकरम अली का बेटा हूं. यह मेरी दोस्त मीनल है, जो जगदंबा इंडस्ट्री के मालिक विजय कपूर की बेटी है. देखिए, हम दोनों अच्छे परिवारों से संबंध रखते हैं. आप प्लीज हमें परेशान न करें,” कहते हुए आर्यन ने अपना और मीनल का परिचय दिया, जिसे सुन कर वे लोग भड़क उठे.
“ओ हो… तो लड़की को बरगलाया जा रहा है. पहले प्रेम का नाटक खेला जाएगा, उस के बाद धर्म परिवर्तन करवाया जाएगा. फिर शादी के बाद उस से बहुत से बच्चे पैदा करवाए जाएंगे, ताकि तुम्हारी आबादी बढ़े और तुम लोग बहुल हो कर हम पर राज करो यानी हमारे बच्चों को हथियार बना कर हमारे ही खिलाफ इस्तेमाल करोगे. है ना? यही प्लानिंग है ना तुम लोगों की? मुझे पता था. ये कौम है ही ऐसी,” मुंह से थूक उछालता गिरोह का सरगना फुंफकारा.
मीनल और आर्यन बात के कहां से कहां जाती देख कर परेशान हो गए. वे आसन्न संकट को देख पा रहे थे, इसलिए घबरा भी रहे थे. वो तो अच्छा हुआ कि गश्ती दल की गाड़ी उधर से गुजरी और मीनल दौड़ कर उस के सामने पहुंच गई. मदद मांगी तो पुलिस उस के साथ घटनास्थल की तरफ आने लगी. पुलिस को आते देख गुंडा टुकड़ी वहां से पार हो गई और मीनल व आर्यन ने चैन की सांस ली.
बात यहीं पर समाप्त नहीं हुई थी, बल्कि यहां से तो शुरू हुई थी. मीनल और आर्यन को परेशान करने और पुलिस की मदद करने वाली खबर दूसरे दिन उन की फोटो के साथ स्थानीय अखबार के फ्रंट पेज पर छपी तो बात पूरे शहर में फैल गई. चर्चा होना इसलिए भी स्वाभाविक था, क्योंकि मीनल के पिता लखनऊ की जानीमानी हस्ती थे और सामाजिक से ले कर राजनीतिक हलकों तक उन की तूती बोलती थी.
मीनल और आर्यन दोनों को कड़ी पूछताछ से गुजरना पड़ा. हालांकि वे दोनों एकदूसरे के साथ अपना शेष जीवन बिताना चाहते थे, लेकिन उन्हें कोई जल्दी नहीं थी. फिलहाल वे अपने रिश्ते को थोड़ा वक्त देना चाहते थे, लेकिन जिस तरह अचानक हालात ने पलटी खाई थी, उस के बाद उन के पास इतना समय नहीं था कि वे मसलों के सामान्य होने तक का इंतजार करते. लिहाजा, उन्होंने समाज के सामने स्वीकार कर लिया कि अलगअलग धर्म होने के बावजूद भी वे एक होना चाहते हैं. शादी करना चाहते हैं.
विधर्मी से शादी करने की बात पर बवाल तो होना ही था. विरोध दोनों ही तरफ से था. किसी भी परिवार को अपने खून में मिलावट मंजूर नहीं थी. सिर्फ इतने ही मसले नहीं थे, जो उन दोनों की शादी में रुकावट डाल रहे थे. कुछ मसले ऐसे भी थे, जो अदृश्य होते हुए भी अपनी उपस्थिति बनाए हुए थे. उन में से एक मसला था दोनों संप्रदायों के बीच होने वाले दंगे. देश के किसी भी हिस्से में हिंसा भड़के, उस का असर कमोबेश पूरे देश में जगह नजर आता है. लखनऊ तो वैसे भी बहुत नाजुक मिजाज वाले लोगों का शहर है. यह शहर बहुत अधिक संवेदनशील है, इसलिए दंगों से बहुत जल्दी प्रभावित होता है. लोगों का एकदूसरी कौम पर विश्वास जम भी नहीं पाता कि कहीं किसी और शहर में दंगे हो जाते हैं. ऐसे में विधर्मी जोड़ों को एक होने के लिए उन के पास एकमात्र विकल्प कोर्ट ही होता है. मीनल और आर्यन ने भी समाज की मान्यताओं को धता बताते हुए कोर्ट में शादी करने का निश्चय कर लिया.
बस, इतनी सी है दोनों की प्रेम कहानी. लेकिन प्रेम कहानियां क्या इतनी आसानी से पूरी हो जाती हैं? शायद नहीं. अभी तो दोनों को और भी इम्तिहान देने बाकी थे. कोर्ट में शादी की अर्जी लगाने की सुगबुगाहट के साथ ही शहर में उबाल आना शुरू हो गया. दोनों पक्षों पर सामाजिक और राजनीतिक दबाव बढ़ने लगे. हालात इतने अधिक तनावपूर्ण हो गए कि कानून व्यवस्था बिगड़ने तक की नौबत आ गई. इतना ही नहीं, मीनल और आर्यन पर जान का खतरा भी मंडराने लगा. अब तो बात इतनी अधिक बढ़ चुकी थी कि बच्चों की खुशी के लिए दोनों पक्ष यदि राजी हो भी जाते तो धार्मिक उन्मादी उन्हें एक होने नहीं देते.