‘हितेश तुम यहां...?’
‘यही सवाल तो मैं तुम से करना चाहता हूं शालू. तुम यहां कैसे?’
‘मुझे 2 दिन पहले ही सर ने यहां की ब्रांच में शिफ्ट किया है. लेकिन, तुम...?’
‘मैं यहां का मैनेजर हूं, 3 दिन से टूर पर था, आज ही आया हूं. तो क्या तुम इस कंपनी की सिस्टर कनसर्न दिल्ली में जौब करती हो?’
‘लेकिन, तुम्हारी शादी तो एक अमीर लड़के से हुई थी. फिर तुम और जौब...? कुछ समझ नहीं आया?’
‘खैर छोड़ो, यह बताओ कि तुम्हारा परिवार कैसा है? मेरा मतलब, बीवीबच्चे...?’
‘सब अच्छे हैं. और तुम्हारे बच्चे, पति सब कैसे हैं? क्या करते हैं तुम्हारे पति?’
‘सब मजे में हैं.’
‘बौस ने तुम्हारे रहने के लिए फ्लैट के लिए कहा है, मैं आज ही इंतजाम करवाता हूं, बस यही कहने आया था. देखा, तो तुम निकली. लेकिन,
अब तक तुम कहां रह रही हो?’
‘दरअसल, अभी मैं इस कंपनी की एंप्लाई सिस्टर डिसूजा के साथ रूम शेयर कर रही हूं.’
‘तो क्या मिस डिसूजा ने तुम्हारी फैमिली को साथ रहने के लिए हां कह दिया?’
‘अरे नहीं, मैं यहां अकेली ही आई हूं.’
‘तो अगर तुम ठीक समझो, तो क्या आज शाम को हम मिल सकते हैं? पता नहीं, फिर यह मौका मिले या न मिले. अगर तुम्हें या तुम्हारी फैमिली को कोई एतराज न हो तो...’
‘हां, अगर तुम्हारी फैमिली को एतराज नहीं तो हम मिल सकते हैं.’
औफिस के बाद मिलने को कह कर दोनों अपनेअपने केबिन में चले गए.
लेकिन शालू को चैन कहां? इतने बरसों से जिसे तलाश रही थी, वह आज मिला भी तो किसी और की अमानत बन चुका है.
शालू ने ताउम्र शादी नहीं की. लेकिन, हितेश ने उसे भुला कर कैसे किसी और को उस की जगह दे दी? क्या इतना ही प्यार था उस से, जो पलभर में खत्म हो गया. उसे यह बात बरदाश्त नहीं हो रही थी. पूरे समय शालू बेचैन रही, एक पल के लिए भी काम में उस का मन न लगा.