बचपन की एकएक कर उभर रही तमाम घटनाओं ने विशाल के दिलोदिमाग पर बहुत ही गहरा असर छोड़ा था. यही वजह थी कि जब कभी भी वह किसी मर्द को औरत के ऊपर हाथ उठाते हुए देखता था तो उस की रगों में बहता जवान खून खौल जाता था.
बचपन में विशाल ने अपनी मां पर होने वाले बाप के जुल्मों को देखा था और यह उसी का नतीजा था.
विशाल का बाप शराबी था. वह शाम को शराब पी कर ही घर आता था. मां घर के राशनपानी के लिए पैसे मांगती थीं तो बाप गालियां बकने लगता था, पीटने लगता था.
मां को शराबी बाप की पिटाई से बचाने की कोशिश में विशाल कई बार बाप की टांगों से लिपट जाता था. इस पर शराबी बाप उसे दोनों हाथों से उठा कर चारपाई पर पटक देता था.
विशाल को एक ऐसे माहौल में रहने को मजबूर होना पड़ रहा था जहां मर्दों द्वारा औरतों से गालीगलौज और मारपीट करना एक मामूली बात थी.
विशाल के बाप को उस की शराब ही ले डूबी थी. मां भी बहुत ज्यादा दिन जिंदा नहीं रही थीं पर मरने से पहले उन्होंने विशाल को इतना काबिल बना दिया था कि वह दो वक्त की रोटी कमा सके.
पेट पालने के लिए विशाल को कोई ढंग का रोजगार चाहिए था. लिहाजा, गांव को छोड़ वह कामधंधे की तलाश में शहर आ गया था. गांव वाला मकान बेच कर विशाल को इतने पैसे मिल गए थे कि शहर में कामधंधे की तलाश करते हुए वह कुछ दिन अपना गुजारा कर सके.