विपिन के औफिस और अपने युवा बच्चों रिया और यश के कालेज जाने के बाद 47 साला जया ने कामवाली से जल्दीजल्दी काम करवाया. वह जीवन में पहली बार डेट पर जा रही थी. उत्साह से भरा तनमन जैसे 20-22 साल का हो गया था. 11 बजे अलमारी खोल कर खड़ी हो गई,'क्या पहनूं, किस में ज्यादा सुंदर और यंग लगूंगी... साड़ी न न... सूटसलवार न... यह तो बहुत कौमन ड्रैस है. फिर क्या पहनूं जो संजीव देखता रह जाए और उस की नजरें हट ही न पाएं मुझ से...पहली बार आमनेसामने बैठ कर संजीव के साथ लंच करूंगी. इतना तो फोन पर पता चल ही गया है कि वह खानेपीने का शौकीन है.

'हां, तो यह ठीक रहेगा, ब्लू कलर का टौप और क्रीम पैंट, इस के साथ मेरे पास मैचिंग ऐक्सेसरीज भी है, रिया हमेशा यही कहती है कि इस में आप बहुत अच्छी लगती हो. तो बस, यही पहनती हूं...' यह सोचतेसोचते जया नहाने चली गई. खयालों में आज बस संजीव ही था.

5 साल पहले पता नहीं कैसे जिम से बाहर निकलते समय संजीव टकरा गया था, "सौरी..." कहते हुए हंस पड़ा था वह. जया को अपने से तकरीबन 10 साल छोटे संजीव की मुसकराती आंखों में थोड़े कुछ अलग से भाव बहुत भाए थे. उस के बाद जिम में तो कम, हां, सोसाइटी के गार्डन, शौपिंग कौंप्लैक्स में वह अकसर मिलने लगा था. दोनों ने शायद एकदूसरे के लिए आकर्षण महसूस किया था. 2 साल इसी तरह गुजर गए थे. पहले कभीकभी, फिर अकसर सुबह की सैर पर दोनों अब संयोग नहीं, इरादतन टकराने लगे थे और आज से 6 महीने पहले का वह रोमांटिक और खूबसूरत दिन जया के जीवन में हलचल मचा गया था जब संजीव ने उस के पास आ कर उसे अपना विजिटिंग कार्ड दिया था, "फोन करना, प्लीज," जल्दी से कह कर फौरन वहां से चला गया था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि लोगों की नजरों में जरा सी भी यह बात आए कि उन दोनों के बीच कुछ चल रहा है.

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