किसी के पागलपन की पहचान हो तुम

किसी की जिंदगी का अरमान हो तुम

मुसकराना भले ही कुछ न हो तुम्हारे लिए

किसी की जिंदगी की मुसकान हो तुम

किसी की सब से खूबसूरत रचना हो तुम

किसी की प्रथम और अंतिम अर्चना हो तुम

खुद को भले ही तुम कभी

समझ न सकी हो

पर किसी के लिए अधूरा

अनसुना एक सपना हो तुम

बर्फ से जल उठे जो

किसी की वो प्यास हो तुम

वर्षों की तमन्ना और आस हो तुम

चलना जरा आहिस्ता

अपना वजूद समझ कर

किसी टिमटिमाते दीये की

आखिरी सांस हो तुम

जिंदगी की शुरुआत न सही

समापन तो हो तुम

किसी की मुहब्बत का

एकमात्र समर्पण हो तुम

हजारों चेहरों में खोए

इन चेहरों को गौर से देखो

किसी एक चेहरे के लिए

जीवन का दर्पण हो तुम

महक उठे मिट्टी भी

वो एक बरसात हो तुम

रोशन कर दे जर्राजर्रा

वो पूनम की रात हो तुम

मेरे लिए वजह तो कभी

कुछ थी ही नहीं मगर

जीता हूं जिसजिस के लिए

वो हर बात हो तुम

खुशनुमा सुबह हो

या उस से पहले की सहर हो तुम

वक्त हो पलभर का

या जीवन का हर प्रहर हो तुम

चांद को कह तो दूं

प्रतिमान सुंदरता का मगर

चांद की चांदनी पर

रूप का कहर हो तुम

सिर्फ एक मौसम हो

या पूरी बहार हो तुम

पहली खामोशी हो

या आखिरी पुकार हो तुम

लड़ने की आरजू हो

या मरने की हसरत हो

जीत हो किसी की

या किसी की हार हो तुम.

                        – पूनम

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