आज मन क्यों उल्लास है
आज जमीं को आसमां से हुई बात है
फिजाओं ने भी छेड़ी राग है
आज मन क्यों उल्लास है
आज हवाओं को घटाओं से हुई बात है
बहारों ने भी बरसाए फूल हैं
आज मन क्यों उल्लास है
आज चांद की चांदनी से हुई बात है
तारों ने भी सजाया आसमां है
आज मन क्यों उल्लास है
आज मन की मीत से हुई बात है
धड़कन ने भी छेड़ा साज है.
रंजना वर्मा
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
(1 साल)
USD48USD10

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
(1 साल)
USD100USD79

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...
सरिता से और