फुरसत मिलते ही
पुरानी किताब के मुड़े पन्ने
क्यों खोलने लगता है दिल
फुरसत मिलते ही
जो गुजर गया, वो गुजर गया
यादों के नश्तर
क्यों घोंपने लगता है दिल
फुरसत मिलते ही
चिडि़यों सा चहके, फूलों सा खिले
रोकने लगता है
क्यों नहीं देखता है दिल
फुरसत मिलते ही
जिस ने हाथ में हाथ दिया नहीं
आस उसी से लगा के
जाने क्यों बैठा है दिल.
- गीता यादवेंदु
VIDEO : रेड वेलवेट नेल आर्ट
ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
(1 साल)
USD48USD10

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
(1 साल)
USD100USD79

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...
सरिता से और