घर बहुत बड़ा था

लेकिन दरवाजा

बहुत छोटा

धूप, हवा, बारिश

सब का आना था मना

घर में रहते थे

बस चंद लोग

एकदम अपरिचित

जैसे रेलगाड़ी के

किसी डब्बे में

बैठे हों अजनबी

खटखटाया बहुत

दरवाजा उस ने

भूखीप्यासी थी

प्यार की वह

खुला न फिर भी

वह बंद दरवाजा

तंग दिल और तंग दरवाजे

ऐसे ही तटस्थ रहते हैं

धड़ाक से बंद हो जाते हैं इन के कपाट

मात्र चाहने वालों के

दुखों की गंध से.

 

- डा. कुसुम नैपसिक

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...