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विश्वासघात
उन की पेशकश सुन कर बहू तो कुछ नहीं बोली पर बेटा बोला, ‘मां, तुम कहां जाओगी, हमारे साथ मेरे एक दोस्त की फैमिली भी जा रही है...वहां से हम सब खाना खा कर लौटेंगे.’
भाग - 1
‘‘आंटी किस सोच में डूब गईं... प्लीज, चलिए न, ‘परिणीता’ शरतचंद्र के उपन्यास पर आधारित अच्छी मूवी है...आप को अवश्य पसंद आएगी,’’ आग्रह करते हुए शेफाली ने कहा.
भाग - 2
उन के रहने से उन की काफी समस्याएं हल हो गई थीं. कभीकभी नमिता को लगता कि अपने बच्चों का सुख तो उन्हें मिला नहीं चलो, दूसरे की औलाद जो सुख दे रही है उसी से झोली भर लो.
भाग - 3
पिक्चर देखने का आग्रह करना, बीच में उठ कर चले आना...सबकुछ नमिता के सामने चलचित्र की भांति घूम रहा था...कहीं कोई चूक नहीं, शर्मिंदगी या डर नहीं...
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