चेन्नई एक्सप्रेस तेजी से अपने गंतव्य की ओर दौड़ी जा रही थी. श्याम ने गाड़ी के डिब्बे की खिड़की से बाहर झांकते हुए कहा, ‘‘बस, थोड़ी ही देर में हम चेन्नई के सेंट्रल स्टेशन पर पहुंचने वाले हैं.

फिर उस ने अपनी नव विवाहिता पत्नी के चेहरे को गौर से निहारा. उसे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसे इतनी सुंदर और पढ़ीलिखी पत्नी मिली है. जब उसे अपने पिता का पत्र मिला था कि उन्होंने अपने मित्र की बेटी से उस की शादी तय कर दी है तो उसे बहुत गुस्सा आया था. लेकिन मीरा की एक झलक देखने के बाद उस का गुस्सा हवा हो गया था.

श्याम को अपनी ओर निहारते देख मीरा लजा गई. पर वह मन ही मन खुश थी. लेकिन उस वक्त उसे श्याम को यह जताना उचित नहीं लगा कि उस के मन में भी अपने विवाह को ले कर ढेर सारी शंकाएं थीं. एक अनजान व्यक्ति से शादी के गठबंधन में बंध कर उस के साथ पूरा जीवन बिताने के खयाल से ही वह भयभीत थी और मातापिता से विद्रोह करना चाहती थी.

लेकिन श्याम को देख कर उसे थोड़ा इत्मीनान हुआ. उस का चेहरामोहरा भी अच्छा था और वह स्मार्ट भी था. श्याम चेन्नई में एक निजी कंपनी में कार्यरत था. मीरा को ऐसा लगा कि श्याम के साथ उस की अच्छी भली निभ जाएगी और दोनों की जिंदगी आराम से कटेगी.

रेलगाड़ी से उतर कर श्याम और मीरा एक बेंच पर बैठ गए. श्याम ने अपना मोबाइल निकाला और मीरा की ओर देख कर बोला, ‘‘ओह, मेरे मोबाइल की बैटरी तो बिलकुल खत्म हो गई है. मैं ने अपने एक दोस्त को हमें पिक करने को कह दिया था, लेकिन वह कहीं दिख नहीं रहा. जरा अपना मोबाइल तो देना. मैं उसे फोन करता हूं, अभी तक आया क्यों नहीं?’’

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