लेखिका-- रेणु फ्रांसिस

नीता और मीता 2 बहनें थीं. हर चीज में अव्वल. पढ़ाई के साथसाथ वह हर चीज में आगे थीं. महल्लेभर की प्यारी थीं. किसी का भी काम हो, कभी मना नहीं करती थीं. सभी कहते कि ऊपर वाले ने इन्हें बड़ी फुरसत से बनाया है.

कहते हैं ना, जैसे दुख ज्यादा दिन तक नहीं रहता, वैसे ही खुशी भी ज्यादा दिन तक नहीं रहती. नीता अपनी छोटी बहन मीता के साथ स्कूल जा रही थी कि एक गाड़ी वाले ने नीता और मीता को टक्कर मार दी और तेज गति से फरार हो गया.

सुबह का समय था, सड़क पर लोग भी कम ही थे. फिर भी कुछ लोगों ने उन दोनों को अस्पताल पहुंचाया.

आईडेंटिटी कार्ड से फोन नंबर ले कर उन के पापा को और स्कूल में फोन किया. फोन पर एक्सीडेंट की खबर से उन के पापामम्मी और महल्ले के 8-10 लोग अस्पताल पहुंच गए.

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जो लोग इन दोनों बहनों को अस्पताल लाए थे,
उन्होंने बताया कि ये दोनों तो अपने रास्ते जा रही थीं, लेकिन एक बाइक वाला  रांग साइड से आया और टक्कर मार कर चला गया. हम लोग दूर थे. जब तक हम वहां पहुंचे, वह काफी दूर जा चुका था. हेलमेट पहनने के कारण उस का चेहरा भी नहीं देख पाए.

डाक्टर ने बताया कि नीता के सिर में गहरी चोट लगी है. फिर भी हम उसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं. मीता भी बेहोश है. उसे हलकी चोटें हैं, लेकिन वह दहशत से बेहोश है.

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