कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

‘‘वजह यह है कि सनोबर का कोई भाई नहीं है. भाई की तरफ से कोई रस्म आप के यहां नहीं होगी. जब मैं ने सनोबर से मंगनी की थी तब वह 5 साल की थी. मुझे उम्मीद थी कि अब आमना के यहां लड़का होगा. लेकिन जुड़वां लड़कियां हो गईं. और आमना ने औपरेशन भी करा लिया. अब लड़का होने के कोई चांस नहीं बचे. तभी से सनोबर की तरफ से मेरा दिल बदल गया था. और आमना भी 4 बहनें हैं. उन का भी कोई भाई नहीं है. मतलब यह है कि नुक्स खानदान में ही है. जब सनोबर ब्याह कर हमारे घर आएगी तो अपनी मां की तरह लड़कियों को ही जन्म देगी. हमारी तो नस्ल ही खत्म हो जाएगी.’’

सगीर बोले, ‘‘लड़का या लड़की होना मौके की बात है. यह जरूरी नहीं है कि आमना के कोई बेटा नहीं है, तो सनोबर के यहां भी बेटा नहीं होगा. आप कुदरत के कानून को अपने हाथ में क्यों ले रही हैं? यह सब समय पर छोड़ दीजिए. शादी न करने की यह कोई जायज वजह नहीं है.’’

खुतेजा उलझ कर बोली, ‘‘वजह क्यों नहीं है. मेरा भाईर् जिस लड़की को बहू बना कर लाया है उस की मां के भी कोई भाई नहीं है. अब मेरा भाई पोते की शक्ल देखने को तरस रहा है. बहू ने 3 बेटियों को जन्म दिया. सारे इलाज करा चुके. किसी तरह भी लड़का न हुआ. सो, मैं अपने अख्तर की शादी ऐसी लड़की से करूंगी जिस का भाई हो. यह मेरा आखिरी फैसला है. अभी सिर्फ मंगनी ही तो हुईर् है, टूट भी सकती है. कई लोगों की मंगनियां टूटती हैं. इस में कौन सी कयामत आ गई है.’’

जब से आमना के यहां जुड़वां बेटियां हुई थीं तब से खुतेजा के दिल में यह बात बैठ गई थी कि बिना भाई की लड़की से हरगिज शादी नहीं करेगी. तब से ही वह शादी के खिलाफ हो गई थी.

अख्तर यह सुन कर बेहद परेशान हो गया. उसे सनोबर से मोहब्बत थी. वह किसी कीमत पर दूसरी लड़की से शादी नहीं करना चाहता था. उस ने मां को बहुत समझाया पर वह अपनी जिद पर अड़ी रही. किसी कीमत पर भी शादी के लिए तैयार नहीं हुई. उस ने साफ कह दिया कि अगर अख्तर ने सनोबर से शादी की तो वह जहर खा लेगी.

बहुत दिनों तक बहस चलती रही. पर खुतेजा ने अख्तर की बात मानने से साफ इनकार कर दिया. अख्तर अपनी मोहब्बत खोना नहीं चाहता था. वह सनोबर के पास आया और बोला, ‘‘सनोबर, अम्मा तो किसी कीमत पर शादी करने को राजी नहीं हैं. मैं ने हजार मिन्नतें कीं, लेकिन वे अपनी जिद पर अड़ी हैं. खुदकशी करने की धमकी दे रही हैं. मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता. चलो, हम कोर्ट मैरिज कर लेते हैं. जो होगा, देखा जाएगा.’’

सनोबर खुद गम से निढाल थी. उस की मोहब्बत दांव पर लगी हुई थी. पर वह समझदार थी. वह खुतेजा को जानती थी. वह हठधर्म औरत बड़ी शक्की थी, वहम और पुराने खयालात छोड़ नहीं सकती थी. ऐसे में अगर वह अख्तर से कोर्ट मैरिज कर लेती और खुतेजा जहर खा लेती तो मौत की बुनियाद पर शादी की शहनाई उन्हें उम्रभर रुलाती. वह एक अच्छी बेटी थी और एक बेमिसाल बहू बनना चाहती थी. शादी बस 2 दिलों का मेल ही नहीं, बल्कि 2 खानदानों का आपसी संबंध है.

सनोबर ने कहा, ‘‘मान लो शादी के बाद तुम्हारी मां कुछ कर लेती हैं तो यह शादी शादमानी के बजाय उम्रभर की परेशानी बन जाएगी. मैं खुद आप से बेहद मोहब्बत करती हूं. पर जो अफसाना अंजाम तक पहुंचना नामुमकिन हो, उसे एक खूबसूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा है. आप अपनी राह बदल लीजिए. अपनी मां की खातिर अपनी मोहब्बत कुरबान कर दीजिए. मां का दिल दुखा कर हम सुखी नहीं रह सकेंगे. आप उन की मरजी से शादी कर लीजिए.

‘‘मैं ने आप को अपनी मोहब्बत और मंगनी के बंधन से आजाद किया. आप मां की खुशी की खातिर अपना फैसला बदल लीजिए. मैं वादा करती हूं, मैं खुश रहने की पूरी कोशिश करूंगी और अगर कोई रिश्ता आता है तो शादी भी कर लूंगी. मैं अपने मांबाप को अपने लिए आंसू बहाता नहीं देख सकती. आइए, अब हम बीते हुए समय को भुला कर एक नई शुरुआत करते हैं. आप को हमारी मोहब्बत की खातिर, यह बात माननी पड़ेगी.’’

सनोबर ने इस तरह से समझाया कि अख्तर को उस की बात माननी पड़ी. उन्होंने वादा किया कि अब वे दोनों नहीं मिलेंगे. यह फैसला तकलीफदेह है, पर जरूरी है. एक खूबसूरत कहानी बिना अपने अंजाम को पहुंचे बीच में ही खत्म हो गई.

अख्तर ने मां से कहा, ‘‘आप जहां चाहें, मेरी शादी कर दें.’’

खुतेजा ने देर नहीं की. 2 महीने के अंदर ही वह अपने रिश्ते की बहन की बेटी रुखसार को बहू बना कर ले आई. रुखसार अच्छी, खूबसूरत लड़की थी. सब से बड़ी बात, 4 भाइयों की इकलौती बहन थी. उस की मां भी 2 भाइयों की एक बहन थी. खुतेजा बेहद खुश थी. उसे मनचाही, मरमरजी की बहू मिल गई थी. सगीर और आमना रस्म निभाने की खातिर शादी में शामिल हुए. दोनों सनोबर के लिए दुखी थे. अकसर एक दरवाजा बंद होता है तो दूसरा दरवाजा खुल जाता है.

सगीर के खास दोस्त नोमान का बेटा अरशद दुबई में जौब करता था. वह शादी के लिए इंडिया आया हुआ था. नोमान और उस की बीवी अच्छी लड़की की तलाश में थे. यहांवहां लड़कियां देख रहे थे. एक दिन वे दोनों सगीर से मिलने घर आए. वहां सनोबर से मिले. उस की खूबसूरती, व्यवहार और सलीका देख कर वे बहुत प्रभावित हुए. उन लोगों ने 2 दिनों बाद अरशद को भी लड़की दिखा दी. उसे सनोबर बहुत पसंद आई. वह तो जीजान से फिदा हो गया.

दूसरे दिन ही नोमान, उन की पत्नी सनोबर के लिए अरशद का रिश्ता ले कर आ गए. बहुत अरमानों से सनोबर की मांग करने लगे. सगीर के जानेपहचाने लोग थे. पढ़ालिखा खानदान था. अरशद की जौब भी बहुत अच्छी थी. आमना ने सनोबर की मरजी पूछी. उस ने कोई एतराज नहीं किया क्योंकि जो कहानी खत्म हो चुकी थी उस पर आंसू बहाना फुजूल था. पर उस ने एक शर्त रखी कि अरशद को उस की मंगनी टूटने के बारे में बता दिया जाए.

नोमान को यह बात पहले से ही पता थी क्योंकि वह सगीर का खास दोस्त था. यह बात अरशद को भी बता दी गई. उसे इस बात पर कोई एतराज न हुआ. 15 दिनों के अंदर अरशद से सनोबर की शादी धूमधाम से हो गई. अरशद ने सनोबर को दुबई बुलाने की कारर्रवाई शुरू कर दी. अरशद छुट्टी खत्म होने पर इस वादे के साथ दुबई रवाना हुआ कि वह जल्दी ही सनोबर को दुबई बुला लेगा.

अरशद बहुत मोहब्बत करने वाला पति साबित हुआ. 3 महीने के अंदर ही उस ने सनोबर को दुबई बुला लिया. उस की मोहब्बत ने धीरेधीरे सनोबर के जख्म भर दिए. वे दोनों खुशहाल जिंदगी गुजारने लगे.

सनोबर की शादी के एक साल बाद ही उस के यहां बेटा हुआ जबकि अख्तर के यहां बेटी हुई. बेटी देख कर खुतेजा फूटफूट कर रोई. सगीर और आमना ने शुक्र अदा किया कि उन की बेटी पर लगा बेहूदा इलजाम गलत साबित हो गया. खुतेजा ने लड़की होने पर रुखसार को बुराभला कहना शुरू किया. पर वह दबने वाली बहू न थी. 4 भाइयों की इकलौती बहन थी. मिजाज बहुत ऊंचे थे. उस ने साफ कह दिया, ‘‘आप मुझे इलजाम न दें. लड़का या लड़की होने के लिए मर्द जिम्मेदार होता है. औरत तो सिर्फ उस के दिए हुए तोहफे को कोख में पालती है. इस में औरत कुछ नहीं कर सकती. चाहें तो आप डाक्टर से पूछ लें. और दोष ही देना है, तो अपने बेटे को दीजिए. वही इस के लिए जिम्मेदार है.’’

रुखसार ने ऐसा खराखरा जवाब दिया कि खुतेजा की बोलती बंद हो गई. उस ने बेटे की तरफ मदद के लिए देखा, पर अख्तर बाप की तरह सीधासादा था. रुखसार के आगे कुछ बोल न सका. वैसे भी, रुखसार ने साइंस का हवाला दिया था जो कि सच था.

2 साल और गुजर गए. एक बार फिर सनोबर के यहां बेटा हुआ और अख्तर के यहां फिर बेटी हुई. खुतेजा मारे सदमे के बेहोश हो गई. होश आने पर फूटफूट कर रोने लगी. जमाल और अख्तर ने उस की अच्छी खबर ली और कहा, ‘‘अपनी मरजी से अपनी पसंद की बहू लाई थी 2 दिल तोड़ कर, बरसों पुरानी मंगनी ठुकरा कर. सो, अब क्यों रोती हो. सब कियाधरा तो तुम्हारा है. तुम तो खुशियां मनाओ. अपनी दकियानूसी सोच व वहम की वजह से 2 दिलों की मोहब्बत रौंद डाली.’’

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...