कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

‘‘यह ‘रिट्रोगे्रड एम्नेशिया’ कैसी बीमारी है?’’ किसी ने पूछा.

‘‘यह एक प्रकार की भूलने की बीमारी है जो आमतौर पर मस्तिष्क में आघात लगने के कारण होती है. ऐसी स्थिति में व्यक्ति आघात लगने के पूर्व की कुछ स्मृतियां भूल जाता है. कुछ समय बाद इन में से कुछ स्मृतियां लौट आती हैं. कुछ स्मृतियां लौटने में और अधिक समय लेती हैं. लेकिन आघात के बिलकुल पूर्व की स्मृतियों का वापस लौटना किंचित कठिन होता है. मुझे भी जब उन यात्रियों ने टे्रन से बाहर फेंका तो मस्तिष्क में आघात के कारण मुझे भी ऐसी ही स्मृतिलोप का शिकार होना पड़ा,’’ मैं इतना कहतेकहते कुछ भावुक सा हो गया.

‘‘फिर आप अपने घर कैसे पहुंचे? परिवार वालों से कैसे मिले? आप को पुरानी बातें कब याद आईं?’’ रजनीश पूछ बैठा.

‘‘हुआ यों कि अस्पताल वालों ने मेरी फोटो और मेरे बारे में समाचारपत्रों में प्रकाशित करवा दिया. विज्ञप्ति मेरे बाबूजी ने भी पढ़ी. वे और भैया मुझे वापस घर ले गए.’’

‘‘फिर क्या हुआ?’’ किसी यात्री का प्रश्न था.

‘‘मेरे बाबूजी ने कई ख्यातिप्राप्त चिकित्सकों से परामर्श किया. वे लोग कहते थे कि इस बीमारी का कोई निश्चित उपचार नहीं है. हां, कई बार यदि रोगी के सम्मुख पूर्व स्मृतियों को लगातार प्रस्तुत किया जाए तो सफलता मिल सकती है. लेकिन इस की भी कोई निश्चित समय सीमा नहीं कि कितना समय लग जाएगा. इस के उपचार में कई विधियां अपनाई जाती हैं, जिन में प्रमुख हैं परिवार और मित्रों का सहयोग व धैर्य. रोगी के सामने उस की पूर्व स्मृतियों की बारंबार प्रस्तुति भी सहायक हो सकती है. पहले की घटनाओं, यादों से मिलतीजुलती स्थितियों की पुनरावृत्ति भी स्मृति लाने में सहायक हो सकती है.’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...