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कोरोना वायरस के दौरान लागू लौकडाउन में पिछले कई दिनों से गोपाल परिवार के साथ अपने घर पर ही था. देश के सब से स्वच्छ शहर इंदौर में मध्य प्रदेश के अन्य शहरों की तुलना में कोरोना के अधिक मामले उसे रहरह कर परेशान कर रहे थे. इंदौर के कुछ हिस्सों में लोगों का प्रशासन के साथ असहयोग भी उसे चिंता में डाल रहा था. लौकडाउन का उल्लंघन भी उसे परेशान कर रहा था. लेकिन वह कर भी क्या सकता था. वह इस महामारी में लौकडाउन का पालन करते हुए घर में बंद था. उस का परिवार भी उस के साथ लौकडाउन का पालन सख्ती से कर रहा था.

गोपाल के परिवार में वृद्ध माता, पत्नी रेखा और 2 बच्चों का अच्छाभला परिवार है. गोपाल खुद एक टीवी मैकेनिक है. अच्छाभला काम है. लेकिन इन दिनों घर पर रह कर एवं लौकडाउन का पालन कर इस महामारी में डाक्‍टरों के निर्देशानुसार अपनी तथा अपने परिवार की सुरक्षा कर रहा था. उसे मालूम था कि इस बीमारी से बचने का एकमात्र रास्ता घर पर रहना ही है.

आज फुरसत के पलों में गोपाल पता नहीं क्यों अतीत की यादों में खो रहा था. उसे आज भी वे दिन याद आ रहे थे जब उस की और उस की पत्नी के बीच झगड़ा हुआ था और बात न्यायालय तक चली गई थी. आज उसे और उस की पत्नी को देख कर कोई इस बात का अंदाजा भी नहीं लगा सकता है. उस के जेहन में अपने उन वकील साहब की याद आ रही थी जो एक दशक पहले उस के तलाक के केस में उस के वकील थे, जिन्होंने उस का परिवार बचाया था. वकील साहब भी उन दिनों उन की तरह ही युवा थे और नईनई वकालत की शुरुआत की थी. आज तो वे शहर के नामीगिरामी वरिष्ठ वकील हैं. उन का नाम भी काफी है. आएदिन समाचारपत्रों में उन का नाम प्रकरणों के संदर्भ में आता रहता है .

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