बीते 6 मार्च की सुबह की बात है. होटल माही-7 के रूम अटेंडेंट ने कमरा नंबर 107 के दरवाजे की कुंडी खटखटाई. लेकिन अंदर से कोई आवाज नहीं आई. उस ने 1-2 बार फिर कुंडी बजाई. फिर भी कमरे के अंदर कोई हलचल सुनाई नहीं दी.

परेशान हो कर रूम अटेंडेंट ने होटल के रिसैप्शन पर जा कर मैनेजर और अन्य कर्मचारियों को यह बात बताई. इस पर होटल के कर्मचारियों ने उस कमरे के बाहर पहुंच कर कई बार कुंडी खटखटाई. साथ ही तेज स्वर में आवाजें भी दीं. लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं आया. कर्मचारी समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर बात क्या है.

होटल कर्मचारियों ने खिड़की से अंदर झांक कर देखा तो उन्हें मामला कुछ गड़बड़ नजर आया. कमरे में ठहरा हुआ दिव्यांग युवक ओमप्रकाश जाखड़ फर्श पर पड़ा था. होटल कर्मचारी ओमप्रकाश जाखड़ को जानते थे. लग रहा था जैसे वह अचेत हो. कमरे में बैड पर एक युवती पड़ी दिख रही थी. खिड़की से देखने पर न तो युवक में कोई हलचल नजर आ रही थी और न ही युवती में. होटल कर्मचारियों ने इस बारे में पुलिस को सूचना देना मुनासिब समझा.

फोन पर मिली सूचना के आधार पर पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिस ने होटल के कमरे का दरवाजा खुलवाया. कमरे के अंदर बैड पर एक युवती पड़ी थी, जिस का मुंह कंबल से ढका हुआ था. गले पर गहरे निशान थे. साथ ही गले में कपड़ा भी बंधा हुआ था. उस की सांसें थम चुकी थीं.

पुलिस अधिकारियों ने उस की नब्ज देखी, लेकिन उस में जीवन के लक्षण नजर नहीं आए. लग रहा था कि वह घंटों पहले मरी होगी. मौके के हालात से यह स्पष्ट नहीं हो रहा था कि युवती के साथ दुष्कर्म या सहवास तो नहीं हुआ था.

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