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देवी की कृपा
रमिया के मुंह से ‘अवतारी मां’ के दर्शनों की बात सुन कर सावित्री के मन में उन से मिलने की तीव्र इच्छा जाग उठी, तभी एक दिन अवतारी मां स्वयं जा पहुंचीं अपने अंधभक्त सावित्री के घर. अवतारी मां के अचानक आगमन से क्या सावित्री प्रसन्न थी?
भाग - 1
रमिया अविश्वसनीय नजरों से आशा को देख रही थी. उस ने थोड़ी दूर खड़ी एक प्रौढ़ महिला की तरफ इशारा किया जोकि लाल रंग की साड़ी पहने थी और उस के माथे पर सिंदूर का टीका लगा हुआ था.
भाग - 2
पिता के जाने के बाद मनोज और अंजना पर फैक्टरी का अतिरिक्त भार पड़ गया था. दोनों सुबह 10 बजे फैक्टरी जाते और रात 7-8 बजे तक घर आते. इसी तरह सालों निकल गए.
भाग - 3
फिर अपने स्वर को धीमा करते हुए वह बोलीं, ‘‘आनंदजी आए थे और 90 हजार रुपए दे गए हैं. मैं ने उन्हें तेरी अलमारी में रख दिया है.’’
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